चाँद से थोड़ी-सी गप्पें
(दस-ग्यारह साल की एक लड़की)
गोल हैं खूब मगर
आप तिरछे नज़र आते हैं ज़रा।
आप पहने हुए हैं कुल आकाश
तारों-जड़ा;
सिर्फ़ मुँह खोले हुए
हैं अपना
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Answer:
चाँद से थोड़ी सी गप्पें कविता का सार: प्रस्तुत कविता हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक और कवि श्री शमशेर बहादुर सिंह द्वारा लिखी गई है।
Explanation:
इस कविता में एक दस-ग्यारह साल की लड़की को चाँद से गप्पें लड़ाते हुए अर्थात् बातें करते हुए दिखाया गया है। वह चाँद से कह रही है कि यूं तो आप गोल हैं, पर थोड़े तिरछे-से नज़र आते हैं। आपने इस तारों-जड़ित आकाश का वस्त्र पहना हुआ है तथा उसके बीच में से आपका केवल ये गोरा-चिट्टा और गोल-मटोल चेहरा ही दिखाई देता है।
वो चाँद से कहती है कि हम जानते हैं कि आपको कोई बीमारी है, तभी तो आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं और बढ़ते हैं तो बढ़ते ही रहते हैं। आप ऐसा तब तक करते हैं, जब तक आप पूरे गोल नहीं हो जाते। वो आगे कहती है, पता नहीं क्यों आपकी ये बीमारी ठीक ही नहीं होती। इस तरह कवि ने चाँद के प्रति एक छोटी-सी बच्ची की भावनाओं का बड़ा ही रोचक और मनभावन चित्रण किया है।