(च) देश के स्वाधीनता संग्राम में कवियों, गीतकारों एवं संगीतकारों ने किस प्रकार अपना योगदान दिया? (VBQ)
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भारत के स्वतंत्रता के आन्दोलन में हिदी कवियों की ओजस्वी उद्गारों तथा उनसे मिली प्रेरणा ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसे कतई विस्मृत नहीं किया जा सकता | आधुनिक खड़ी बोली हिदी कविता के प्रवर्तक बाबू हरिश्चंद्र ने भारत दुर्दशा का बड़ा ही मार्मिक चित्रण किया है —-
अंगरेज राज सुख साज सजे सब भारी |
पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी | |
सबके ऊपर टिक्कस की आफत आई |
हा ! हा ! भारत दुर्दशा देखी ना जाई | |
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त अपनी राष्ट्रीय रचनाओं के कारण भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अत्यंत लोकप्रिय रहे | उनकी भारत-भारती सम्पूर्ण भारतवर्ष में गूंज उठी थी | उससे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने विशेष प्रेरणा प्राप्त की | गुप्तजी को अपनी ओजस्वी कृतियों के लिए जेल-यात्रा भी करनी पड़ी थी | उन्होंने जहाँ स्वतंत्रता आन्दोलन में व्यक्तिगत रूप से भाग लिया वहीँ प्रेरक कविताओं से अनेक भारतीयों को बलि-पथ पर अग्रसर किया |
प० माखन लाल चतुर्वेदी की कविताओं ने भी स्वतंत्रता सेनानियों के ह्रदय में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत की | ‘एक फूल की चाह; शीर्षक कविता की कुछ पंक्तियाँ—
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं / चाह नहीं प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं / चाह नहीं सम्राटों के सर पर हे हरि ! डाला जाऊं / चाह नहीं देवों के सिरपर चढूं, भाग्य पर इठलाऊं / मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथ पर देना तुम फ़ेंक / मातृभूमि पर शीश चढाने जिस पथ जावें वीर अनेक |
प० रामनरेश त्रिपाठी ने भी अनेक स्वाधीनतापरक कविओताओं का प्रणयन किया | उन्हें पढ़कर पाठकों के ह्रदय में स्वतंत्रता के प्रति सहज अनुराग हुआ है | ‘पथिक’ खंड काव्य में परवशता और स्वतंत्रता का प्रतिपादन इस प्रकार किया गया है — एक घड़ी भी भी परवशता, कोटि नरक के सम है /पल पर की भी स्वतंत्रता, सौ स्वर्गों से उत्तम है | महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा प्रस्तुत प्रयाण गीत ने स्वतंत्रता के लिए आगे बढ़ने की प्रेरणा आजादी के दीवानों को दी थी –हिमाद्रि तुंगश्रृंग से, प्रबुद्ध शुद्ध भारती / स्वयंप्रभा समुंज्ज्वला, स्वतंत्रता पुकारती /अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञा सोच लो/ प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढे चलो बढे चलो / अराति सैन्य सिन्धु में , सुबाडवाग्नी से जलो / प्रवीर हो जाई बनो, बढे चलो, बढे चलो |
श्री जगदम्बा प्रसाद मिश्र “हितैषी” की ये पंक्तियाँ आज भी बड़े गर्व से गायी जाती है — शहीदों के मजारों पे लगेइगे हर वर्ष मेले / वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा
कविवर श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ का झंडा गीत स्वतान्रता सेनानियों के लिए शास्त्र ही बन गया था — विजयी विश्व तिरंगा प्यारा / झंडा ऊँचा रहे हमारा
प० बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ ने स्वयं सक्रिय रूप से भाग लिया | उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महती भूमिका निभाई | राष्ट्रकवि प ० सोहनलाल द्विवेदी प्रमुख गांधीवादी माने जाते हैं | उनकी अनेक रचनाओं का उपयोग स्वतंत्रता आन्दोलन की प्रभात फेरियों में किया जाता था |
श्रीमति सुभद्रा कुमारी चौहान की झांसी की रानी, रचना का भी स्वाधीनता आन्दोलन में विशिष्ठ योगदान रहा है | इनके कवियों के अतिरिक्त अनेक कवियों ने भी अपनी कविता के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका का निर्वाह किया है | इसमें बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमधन’ प्रताप नारायण मिश्र आदि अनेक नाम है जिन लोगों ने अंपनी कविताओं के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम की अलख जागाने में अपना योगदान देते रहे |