चिड़िया की बच्ची का सारंश
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एक सेठ माधवदास ने अपनी नई कोठी और बगीचा बनवाया था, वह हर शाम वहाँ बैठा करता था। एक दिन एक चिड़िया की बच्ची थक कर उस बगीचे के गुलाब के पेड़ की डाली पर जा बैठी। तब ही सेठ माधवदास की नजर उस पर पड़ी। सेठ को वह बहुत पसंद आई, वह उसे अपने पास रखने की चाह करने लगा। उसने चिड़िया को लालच दिया पर वह नहीं मानी। तब सेठ माधवदास ने जबरदस्ती की और उसे धौका देकर पकड़ने की कोशिश की पर वह उड़ गई और अपनी माँ को गले लगा लिया
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