'चिड़ियाघर में जलवों को क्यों रग नाला
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चिड़ियाघर एक ऐसा स्थान होता है जहाँ पर विभिन्न जानवरों को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है। इन जानवरों में कई ऐसे भी जानवर होते हैं जो कि विलुप्तता की कगार पर हैं। आइये पहले जानते हैं कि आखिर एक चिड़ियाघर होता क्या है? चिड़ियाघर को अंग्रेज़ी में ‘ज़ू’ (Zoo) कहा जाता है जो कि ज़ूलॉजी (Zoology) शब्द से निकला हुआ है। यह एक ऐसा स्थान होता है जहाँ पर जानवरों को कैद कर के रखा जाता है तथा आम लोगों के आगे प्रदर्शित किया जाता है। ऐतिहासिक रूप से यदि देखा जाये तो चिड़ियाघर का इतिहास मेसोपोटामिया की सभ्यता तक जाता है। हांलाकि आधुनिक चिड़ियाघर प्राचीन चिड़ियाघर से भिन्न हैं, करण कि पहले चिड़ियाघर निजी तौर पर पाले गए जानवरों के आधार पर होते थे और अब वर्तमान में सरकार द्वारा नियंत्रित होते हैं। पहले अमीर लोग अपनी शक्ति और शौक के प्रदर्शन के लिए चिड़ियाघरों का निर्माण करते थे। इस प्रकार के निजी संग्रह को ‘मेनाजरी’ (Menagerie) कहा जाता था।
चिड़ियाघरों में ऐसे भी जानवरों को रखा जाता है जो उस स्थान से सम्बंधित नहीं होते हैं। जैसे उपनिवेशिक काल में भारत से बड़े पैमाने पर गैंडे और हाथियों को विदेशों में भेजा गया था। चिड़ियाघरों में ऐसे जानवरों को रखा जाता है जो कि विलुप्तता की कगार पर हों और वहां पर उन जानवरों का पालन कर के उनकी संख्या बढ़ाने का भी कार्य किया जाता है। परन्तु कई बार जानवर अपने प्राकृतिक निवास से दूर होने के कारण मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। जैसे कोई जानवर अपने प्राकृतिक आवास में मुक्त रूप से विचरण करता है परन्तु यदि देखा जाए तो चिड़ियाघर में वह एक सीमित दूरी में ही या पिंजरे में रहने लगता है जिससे उसके ऊपर कई प्रभाव देखने को मिलते हैं। वर्तमान काल में कई चिड़ियाघर बिना पिंजरे के भी बनाये जा रहे हैं परन्तु वे प्राकृतिक छाप छोड़ने में असमर्थ हैं। हाल ही में मुंबई चिड़ियाघर में पेंगुइन को लाया गया तथा यह एक बड़ा कदम था परन्तु कुछ दिन बाद ही एक पेंगुइन की मृत्यु हो गयी। कारण कि पेंगुइन का प्राकृतिक आवास अंटार्टिका है और वे मुंबई के माहौल में नहीं रह पाते हैं। यह एक प्रकार का जानवर के ऊपर किया जाने वाला अत्याचार ही है। आधुनिक चिड़ियाघर का जन्म 18 वीं शताब्दी में यूरोप में हुआ। इस दौरान लोगों ने जानवरों के बारे में विषद जानकारी लेना प्रारंभ कर दिया था। प्राणीशास्त्र का अध्ययन इसी दौर में शुरू हुआ था और लोग जानवरों की संरचना पर अध्ययन करना शुरू कर चुके थे। ऐसी स्थिति में चिड़ियाघर एक महत्वपूर्ण अंग बन गए। पेरिस, फ्रांस में 1793 में पहला आधुनिक चिड़ियाघर खोला गया। ये चिड़ियाघर जीवित संग्रहालयों की तरह थे। आज चिड़ियाघर जनता के मनोरंजन और उन्हें शिक्षित करने के लिए हैं लेकिन इनमें साथ ही साथ वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रजातियों के संरक्षण पर भी जोर दिया गया है। चिड़ियाघरों के भी कई प्रकार होते हैं जैसे शहरी चिड़ियाघर, पालतू चिड़ियाघर, सफारी पार्क और गेमिंग चिड़ियाघर आदि। लखनऊ का चिड़ियाघर शहरी चिड़ियाघर की संज्ञा में आता है
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