चबूतरे पे साथ बैठकर बाबूजी बच्चो को क्या खिलाते थे??
बताओ सब नहीं तो उदा दूंगा (≧▽≦)
Answers
भोलानाथ के पिता भोलानाथ को अपने साथ रखते, घुमाते-फिराते, गंगा जी ले जाते। वे भोलानाथ को अपने साथ चौके में बिठाकर खिलाते थे। उनके हाथ से भोजनकर जब भोलानाथ का पेट भर जाता तब उनकी माँ थोड़ा और खिलाने का हठ करती। वे बाबू जी से पेट भर न खिलाने की शिकायत करती और कहती-देखिए मैं खिलाती हूँ। माँ के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भरता है। यह कहकर वह थाली में दही-भात मिलाती थी और अलग-अलग तोता-मैना, हंस-कबूतर आदि पक्षियों के बनावटी नाम लेकर भोजन का कौर बनाती तथा उसे खिलाते हुए यह कहती कि खालो नहीं तो ये पक्षी उड़ जाएँगे। इस तरह भोजन जल्दी से भरपेट खा लिया करता था।
Explanation:
उदा दो( ꈍᴗꈍ)
☞चबूतरे पे साथ बैठकर बाबूजी बच्चो को क्या खिलाते थे?
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➢ चबूतरे पे साथ बैठकर बाबूजी बच्चे को फूल के एक कटोरे में गोरस और भात सानकर खिलाते थे।
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