Hindi, asked by amoghj5112, 3 months ago

चचत्क ू ट से भरत की िापसी के बाद िनिासी राम ऋवष अत्रत् से अनम ु नत लेकर ककधर चल पड़े ?

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Answered by Anonymous
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भरत चरित करि नेमु तुलसी जो सादर सुनहिं।

सीय राम पद पेमु अवसि होइ भव रस बिरति॥326॥

भावार्थ

तुलसीदासजी कहते हैं- जो कोई भरतजी के चरित्र को नियम से आदरपूर्वक सुनेंगे, उनको अवश्य ही श्रीसीतारामजी के चरणों में प्रेम होगा और सांसारिक विषय रस से वैराग्य होगा॥326॥

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