Hindi, asked by Anonymous, 1 month ago

चहत उडावन फूंक पहारू में कौन सा रस है ?​

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Answered by bhatiamona
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चहत उडावन फूंक पहारू में कौन सा रस है ?​

चहत उडावन फूंक पहारू में हास्य रस है |

‘चहत उडावन फूंक पहारू’ इस पंक्ति में हास्य रस हास्य रस वहां प्रकट हो रहा है। हास्य रस काव्य में वहाँ होता है, जहां पर काव्य में हास्यात्मक पुट हो अर्थात काव्य को सुनकर हँसी आती हो, या काव्य में दूसरे पर व्यंग्य किया गया हो।

इस पंक्ति में लक्ष्मण परशुराम पर व्यंग करते हुए हंसते हैं और परशुराम की मूर्खता की ओर इशारा करते हुए उन पर व्यंग करते हैं। पूरी पंक्तियां इस प्रकार हैं

” बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।

पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।

Answered by kaursimran70648
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Answer:

चहत उड़ावन फूँकि पहारू।। उत्तर 2-7: इन पंक्तियों में लक्ष्मण अभिमान में चूर परशुराम स्वभाव पर व्यंग्य किया है। लक्ष्मण मुस्कुराते हुए कहते हैं कि आप मुझे बार-बार इस फरसे को दिखाकर डरा रहे हैं। ऐसा लगता है मानो आप फूँक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हों।

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