चकाचौंध में खोई दुनिया essay in hindi
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निबंध...
।। चकाचौंध में खोई दुनिया ।।
आज का युग भौतिक युग है। चमक का युग है। चकाचौंध का युग है। चारों तरफ विकास की चमक है, कहीं पर दिखावे की चमक है, कहीं पर पाखंड की चमक है, कहीं पर दौलत की चमक है तो कहीं पर होड़ में दूसरों को पीछे छोड़कर आगे निकलने की चमक है। चारों तरफ चमक की चमक बिखरी हुई है और इसी चमक की चकाचौंध में पूरी दुनिया खोई हुई है। कोई ग्लैमर की चकाचौंध में खोया है तो कोई पैसे की चमक में खोया हुआ है। कोई अपनी उपलब्धियों की चमक की चकाचौंध में खोया हुआ है।
हालांकि ऐसा नहीं है कि पूरी दुनिया में चकाचौंध ही है, चमक ही चमक बिखरी पड़ी है सारी दुनिया चकाचौंध में ही खोई हुई है। इस दुनिया में अंधेरा भी कम नहीं है। जहाँ कुछ लोगों के पास अपार धन-दौलत है, ऐश्वर्य है तो लाखों-करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जिन्हें एक समय का खाना भी ढंग से नहीं मिल पाता जो अंधेरे में जी रहे हैं। लेकिन उनके मन में भी चकाचौंध में खो जाने की लालसा है। वह भी उसी चमक को पाना चाहते हैं जिसमें यह दुनिया खोई हुई है। इस दुनिया के वैभव ऐश्वर्य को सब पाना चाहते हैं, चाहे अमीर हों या गरीब, कोई इसके आकर्षण से बच नहीं पाता। जिनके पास इस चकाचौंध खो जाने का अवसर है वे इसमें में डूबे हुए हैं, खोये हुये हैं, जिनके पास अवसर नहीं है, वे उस अवसर को पाना चाहते हैं।
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