चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात को स्पष्ट करें
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चक्रवात और प्रतिचक्रवात दो विशिष्ट प्रकार के वायुदाब और पवन तंत्र हैं। इन्हें परिवर्तनशील पवनें भी कहते हैं।
चक्रवात
निम्न वायुदाब के तंत्र होते हैं जिनके चारों ओर उच्च वायुदाब होता है।चक्रवात में पवनों का प्रवाह चक्रीय रूप में होता है।दक्षिणी गोलार्द्ध में चक्रवातों में पवनों की दिशा घड़ी की सुइयों के अनुरूप दिशा में होती है।उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिणी गोलार्द्ध के विपरीत पवनों का प्रवाह घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरी दिशा में होती है।
प्रतिचक्रवातः
चक्रवातों के विपरीत प्रतिचक्रवात, उच्च वायुदाब के क्षेत्र होते हैं।इन उच्च वायुदाब केन्द्रों से वायु के प्रवाह बाहर की ओर होता है।वायु का प्रवाह उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों के अनुरूप तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई के विपरीत दिशा में होता है।ध्रुवीय क्षेत्रों की उच्च वायुदाब पेटियां और उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब क्षेत्र इनकी उत्पत्ति के प्रमुख क्षेत्र हैं।चक्रवातों की अपेक्षा प्रतिचक्रवातों का मौसम सम्बन्धी परिस्थितियों पर कम बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रतिचक्रवात वायु के नीचे उतरने के क्षेत्र होते हैं।