Hindi, asked by sneha18858, 6 months ago

चक्रव्यूह में घूमने के बाद भारतीय वीरों की क्या स्थिति थी स्पष्ट करो
Class 8 chapter "aaath abhimanu"

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Answered by Poulomee12
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Answer:

महाभारत का युद्ध अट्ठारह दिनों तक चला। आरम्भ में कौरव पक्ष में पितामह भीष्म सेनापति थे। उन्होंने दस दिन तक युद्ध किया। तब ग्यारहवें दिन द्रोणाचार्य सेनापति हुए। वह पाँच दिनों तक  सेनापति बने रहे। पन्द्रहवें दिन ये वीरगति को प्राप्त हुए। इसके बाद दो दिनों तक कर्ण सेनापति हुए। इनकी वीरगति होने पर आधे दिन शल्य मामा ने युद्ध किया। शेष आधे दिन में भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध हुआ।

-इस ऐतिहासिक महायुद्ध के तेरहवें दिन जब द्रोणाचार्य कौरव के सेनापति थे, तब दुर्योधन ने अपनी विजय के लिए बहुत अधिक प्रार्थना की। द्रोणाचार्य ने कहा, “यदि अर्जुन किसी कारण से युद्ध में शामिल न हो, तो निश्चय ही तुम्हारी जीत होगी, ऐसा सुनकर दुर्योधन पक्ष का संशप्तक नामक वीरवर अर्जुन को युद्ध के लिए बुलाकर कहीं दूर ले गया। यही अवसर है, ऐसा.सोचकर द्रोणाचार्य ने । चक्रव्यूह की रचना की, जिसका भेद अर्जुन के अलावा पाण्डव में कोई नहीं जानता था।

महाराज युधिष्ठिर अत्यन्त दुखी हुए। उसी समय अर्जुन पुत्र अभिमन्यु युद्धक्षेत्र में गया। वह चक्रव्यूह भेदन विधि जानता था, किन्तु चक्रव्यूह के द्वार पर उसके पिता की बहन के पति (फूफा) सिन्धुराज जयद्रथ ने युधिष्ठिर, भीम, नकुल, सहदेव को रोक दिया। अभिमन्यु ने अकेले ही चक्रव्यूह के बीच घुसकर, अत्यन्त पराक्रम से युद्ध करके बहुत से वीरों को मार दिया। अन्त में द्रोण, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, बृहदर्बल, कृतवर्मा आदि सात योद्धाओं ने मिलकर अकेले (अभिमन्यु) को निःशस्त्र कर मार दिया। हा! धिक्कार! अभिमन्यु वीरगति पाकर अमर हो गया।

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