चली फगुनाहट बोरे आम कविता का भावार्थ लिखिए
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चली फगुनहट बौरे आम विवेकी राय
बिना किसी के भय के जैसे बेकारी - बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे से भी नही डरी। भावार्थ:- सारांश - वंसत ऋतु में फाल्गुन माह के प्रभाव के विषय में प्रस्तुत निंबंध लिखा गया है। मौसम के प्रभाव से वृद्ध लेाग भी युवाओं की भाँति व्यवहार करने लगते है। समस्त वातारण में मस्ती का माहाैल छा जाता है।
Explanation:
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‘चली फगुनाहट बोरे आम’ कवि विवेकी राय द्वारा लिखी गई एक कविता है। इस कविता का भावार्थ इस प्रकार है।
भावार्थ : कवि ने वसंत ऋतु के फागुन माह की महिमा का वर्णन किया है। कवि के अनुसार फागुन माह में जो अनोखी हवा चलती है, उसे फगुनाहट कहते हैं। इस फगुनाहट हवा के प्रभाव से सभी लोग मदमस्त हो जाते हैं और चारों तरफ मस्ती का वातावरण छा जाता है। वृद्ध लोग भी युवाओं की तरह व्यवहार करने लगते हैं।
क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या जवान सब एक सुर में रंग जाते हैं, जितना अधिक प्रभाव फागुन माह का होता है। उतना और किसी महान का नहीं होता। हर तरफ उल्लास का वातावरण छा जाता है। आँगन में कौवा कांव-कांव करके अतिथि के आगमन की सूचना देते है। लोग नाचने गाने में डूब जाते हैं और तरह-तरह के उत्सवों को मनाने लगते हैं। फगुनाहट की हवा का प्रभाव कैसा होता है कि लोगों का मन-मयूर नाच होता है और उन्हें गाने की भी इच्छा होने लगती है। इस फगुनहट की हवा के प्रभाव से अपने जीवन के दुख कुछ समय के लिए भूल कर मस्ती के वातावरण में रम जाते हैं।