Hindi, asked by kunwarsatyendraxingh, 7 months ago

चली फगुनाहट बौरे आम कविता का भावार्थ लिखिए।​

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Answered by Anonymous
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Answer:

केन्द्रीय भाव:-

फागुन की हवा खास है मगर वह आम हवा की तरह चलती है। बिना किसी के भय के जैसे बेकारी - बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसे से भी नही डरी।

भावार्थ:- सारांश - वंसत ऋतु में फाल्गुन माह के प्रभाव के विषय में प्रस्तुत निंबंध लिखा गया है। मौसम के प्रभाव से वृद्ध लेाग भी युवाओं की भाँति व्यवहार करने लगते है। समस्त वातारण में मस्ती का माहाैल छा जाता है। किसी भी अन्य माैसम का प्रभाव इतना व्यापक और मस्ती भरा नहीं होता जितना कि फाल्गुन माह का । कौआ (पक्षी) आँगन मे कांव कांव करके अतिथि के आगमन की सूचना देता है, लेाग नृत्य, गाने एवं मस्ती में पूरी तरह डूब जाते हैं। फगुनाहट की हवा बहने पर गायन की इच्छा जाग्रत होने लगती है। फगुनहट के रंग में संसार के दुख कुछ समय के लिए समाप्त प्राय हाे जाते है एवं मनुष्य मात्र को प्रफुल्लित कर देते है।

Answered by Chaitanya1696
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हमें पूछे गए प्रश्न का उत्तर देना है जो है ' चली फगुनाहट बौरे आम कविता का भावार्थ लिखिए।​ '

  • वंसत ऋतु में फाल्गुन माह के प्रभाव के विषय में यह प्निंबंध लिखा गया है।
  • मौसम के  इस प्रभाव से वृद्ध लेाग भी युवाओं कीतरह व्यवहार करने लगते है।
  • पूरा वातारण में मस्ती का माहाैल छा जाता है।
  • किसी भी अन्य माैसम का प्रभाव इतना मस्ती भरा नहीं होता I
  • जितना फगुनाहट बौरे माैसम का ।

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