चल
पर
हीवानों की हस्ती
हम दीवालों की क्या हस्ती
हे आज यहाँ कल वहाँ चले,
मस्ती
का आलम साथ चला
हम धूल उड़ाते जहा
चले।
आए बनकर उल्लास सभी
आँसु बनकर बह चले ममी,
सब कहते ही रह गए।
अरेड
तुम
कहाँ चले।
ओर चले ? यह मत पूछो ।
चलना है बस इसलिए चले ।
जग से कुक लिए चले
जग को
अपना
कु दिए चलेगा
दो बात कही
हो बात सुनी,
कुर हँसे और फिर कुछ रोटा
सुख के घुटो की,
भाव से पिए चले ।
कैसे आए
किस
ककर कुरवा
हम एक
,
हम भिखमंगों की दुनिया में
स्वच्छन्द लुटाकर प्यार चले
हमस्क निशानी सी उर पर,
ले असफलता का
भार चले
अंब अपना और पसाया क्या?
आबाढ़
रहे रूकने वाले !
हम स्वयं बंधे थे और स्वयं
हम अपने बंधन तोड़ चले।
eska arth batao
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please follow me And mark My answer
brilliant
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sorry dont know the answer
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