Hindi, asked by sweta1294, 5 months ago

चल रे, चल रे बटोही!
जब तक साँस चले।
सूरज चले बदन झुलसाकर,
चाँद चले आँसू ढलकाकर।
सबको चलना पड़ा,
जो इस आकाश तले,
चल रे, चल रे बटोही!
जब तक साँस चले।
ठोकर तो है दुलहन पाँव की,
पीर झलक है प्रेम-गाँव की।
आँधी, अंधड़, बगिया, बंजर,
सबको लगा गले,
चल रे, चल रे बटोही!
जब तक साँस चले।
पग की प्यास बुझा छालों से,
मत घबरा चुभने वालों से।
नहीं सेज़ पर, नहीं मेज़ पर,
काँटों में फूल खिले,
चल रे, चल रे बटोही!
जब तक साँस चले।
चलना ही तो जीवन है,
रुक जाना तो मौत-मरण है।
रुके न तब तक कदम,
न जब तक मंजिल, तुझे मिले,
चल रे, चल रे बटोही!
जब तक साँस चले।
explanation of poem

Answers

Answered by wajeakshay27
4

Answer:

सरल भाषा मै क है तो

कवी अपने कवि ता से यह कहना चाहता है की

मनुष्य के जीवन काल मै कितनी भी कठीनाया

आये , उस से हारना नही चाहिऐ , उसका दट कर

मुकाबला कर ना चाहिऐ , और अपने कार्य को,

पुरे जोश से या पुरी मेहनत से करना चाहिऐ ।

Answered by anandsapna715
1

Answer:

सरल शब्दों में इस कविता का अर्थ है की कठिनाइयों में भी आगे बढ़ते जाओ... आपके मंजिल में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आए आपको आगे बढ़ते रहना है।।।

Explanation:

इस कविता में ठोकर की तुलना दुल्हन से की गई हैं, जिसे कष्ट सहकर भी परिवार को समेटकर चलना होता है। इसी प्रकार मनुष्य को भी ठोकरों से कुछ सीखने को मिलता है।।

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