चलने-फिरने वाले बच्चों में जिनमें भाव देर तक नहीं टिकते और दुख परिहार का ज्ञान या बल नहीं होता, भय अधि
कि होता है। बहुत से बच्चे तो किसी अपरिचित आदमी को देखते ही घर के भीतर भागते है। पशुओं में भी भय अधि
कि पाया जाता है। अपरिचित के भय में जीवन का कोई गूढ़ रहस्य छिपा जान पड़ता है। प्रत्येक प्राणी भीतरी आँख
खुलते ही अपने सामने मानो एक दुःख कारण पूर्ण संसार फैला हुआ पाता है जिसे क्रम Tः कुछ अपने ज्ञान बल से और
कुछ बाहुबल से थोड़ा बहुत सुखमय बनाता चलता है। क्ले । और बाधा का ही सामान्य आरोप करते जीवन संसार में
पैर रखता है।
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