चलना हमारा काम है कविता में कवि ने मनुष्य के जीवन के बारे में क्या कहा
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चलना हमारा काम है। भावार्थ- कवि कहता है कि इस जीवन में कुछ भी पूर्ण नहीं है। इस पूर्णता को पाने के लिए मनुष्य को राह के अनेक रोड़ों को पार करना पड़ता है। ऐसे में निराश होने से क्या लाभ क्योंकि जीवन इसी का नाम है।
Explanation:
प्रस्तुत कविता में कवि कहता है कि उसके पैरों में प्रबल गति है तो वह क्यों विराम ले। रास्ते में तुमसे मुलाकात होने से कुछ रास्ता कट गया। अब अपना परिचय क्या दूँ, राही ही मेरा नाम है और चलना ही काम है। यहाँ पर कवि के कहने का भाव यह है कि रास्ते में आपको कई लोग मिलेंगे जिनके साथ चलने से आपका रास्ता कट जाता है।
कवि कहते हैं कि जीवन का सफर कभी पूर्ण नहीं होता पग-पग पर रोड़े अटकते रहते हैं सुख-दुःख के भाव से हम जीवन जीते रहते हैं क्योंकि सुख-दुःख आशा-निराशा चाहे जो भी हो हमें चलते रहना चाहिए। जीवन के इस रास्ते में कुछ साथ बीच में ही लौट पड़ते हैं तो कुछ छूट जाते हैं परंतु सफलता उसे ही मिलती है जो जीवन पथ पर चलते रहते हैं
मानव को विघ्न-बाधाओं पर विजय प्राप्त करते हुए निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए। गति ही जीवन है। जीवन में सफलता-असफलता, सुख-दुख आते रहते हैं। जीवन में हार-जीत, आशा-निराशा लगी रहती है। अत: सभी परिस्थितियों में आत्मविश्वास बनाए रखते हुए जीवन में गतिशीलता बनाए रखनी चाहिए।