चलना मनुष्य का स्वभाव है। पानी भी चलता है, हवा भी चलती है, समय भी चलता है और मनुष्य भी चलता है। प्राचीन समय में एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचने के लिए मनुष्य मिलों पैदल यात्रा करता था। कई बार यात्रा इतनी लंबी हो जाती थी कि वर्षों लग जाते थे, मार्ग में यात्री बीमार होकर मर भी जाते थे। फिर पालकियों का प्रयोग किया जाने लगा। इन्हें चार लोग उठाते थे। मगर रास्ते में चलते-चलते थके लोगों की जगह लेने के लिए आठ या बारह लोग साथ में चलते थे। क) मनुष्य का स्वभाव क्या है?
दौडना
कूदना
चलना
उड़ना
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manushya ka swabhav chalna hai
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चलना
as told in the paragraph
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