Hindi, asked by Prasiddhika, 11 months ago

चलती चाकी देखकर , कबीरा दिया रोय । दुइ पाटन के बीच में , साबुत बचा ना कोय ॥ का स्पष्टीकरण बताय

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Answered by simran376
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Chalti chaki dekhkar kabir ro rha hai do paat ke bich Mai sabut Koi nhi bcha
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Answered by D13
54
इसका अर्थ है कि महान कवि कबीर ने जब चलती हुई चक्की (गेहूं पीसने या दाल पीसने में इस्तेमाल किया जाने वाला यंत्र) को देखा तो वह रोने लगे क्योंकि वह देखते हैं की किस प्रकार दो पत्थरों के पहियों के निरंतर आपसी घर्षण के बीच कोई भी गेहूं का दाना या दाल साबूत नहीं रह जाती, वह टूटकर या पिस कर आंटे में परिवर्तित हो रहे हैं।
दरअसल यह तो इसका सब्दार्थ है किन्तु इसका भावार्थ बड़ा ही गहन एवं जीवन की गहराई को प्रकट करता है।
भावार्थ: कबीर अपने इस दोहे से कहना चाहते है कि जीवन के इस संघर्ष में लोग किस प्रकार पापी और लालची ही गए है, वह स्वयं को मर्यादाओं को तोड कर पशु प्रवृति के हो चले और जाने क्यों वह जीवन की अन्तर्धारा से विमुख होकर विनाश को ओर अग्रसर हैं। वह कहते है कि क्यों लोग जीवन के इस भवसागर के पार नहीं जा पाते और अपना जीवन सब व्यर्थ गवां रहे।
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