Social Sciences, asked by ritugoyal02041984, 9 months ago

चमकीले पीले रंगों में अब डूब रही होगी धरती,
पंचमी आज, ढलते जाड़ों की इस ढलती दोपहर में
पदयांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-चमकीले-
पीलीधरती।"
इसके खेतों में खिलती है सींगरी, तरा, गाजर, कसूम
देतो-खेतों फूली होगी सरसों, हँसती होगी धरती।
किससे कम है यह, पली धूप में सोना-धूल भरी धरती।
शहरों में बहू-बेटियाँ हैं सोने के तारों से पीली,
जंगल में नहा, ओढ़नी पीली सुखा रही होगी धरती।
सोने के गहनों में पीली, यह सरसों से पीली धरती।
(क) इन पंक्तियों में किस ऋतु की धरती के सौंदर्य का वर्णन है?
(ख) कवि ने धरती की पली ओढ़नी किसे कहा है?
(ग) किससे कम है यह, पली धूप में सोना-धूल भरी धरती'-पंक्ति से कवि का क्या भाव प्रकट होता है।​

Answers

Answered by guliamanjit300
3

Answer:

ans. 1 - in panktiyo me vasant Ritu ka varnan h

ans. 2- kavi ne pili odhni sarso ke fulo ko kha h Jo ab vansat ritu me khile hue h .

ans. kavi kehna chahta h ki prakrti ka sundarya anek mulyvan chejo se bhi adhik kimti or maonram hai.

Answered by bhatiamona
0

चमकीले पीले रंगों में अब डूब रही होगी धरती,

पंचमी आज, ढलते जाड़ों की इस ढलती दोपहर में

पदयांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-चमकीले-पीलीधरती।"

इसके खेतों में खिलती है सींगरी, तरा, गाजर, कसूम

देतो-खेतों फूली होगी सरसों, हँसती होगी धरती।

किससे कम है यह, पली धूप में सोना-धूल भरी धरती।

शहरों में बहू-बेटियाँ हैं सोने के तारों से पीली,

जंगल में नहा, ओढ़नी पीली सुखा रही होगी धरती।

सोने के गहनों में पीली, यह सरसों से पीली धरती।

(क) इन पंक्तियों में किस ऋतु की धरती के सौंदर्य का वर्णन है?

उत्तर : इन पंक्तियों में कवि ने बसंत ऋतु की धरती के सौंदर्य का वर्णन किया है।

(ख) कवि ने धरती की पली ओढ़नी किसे कहा है?

उत्तर : कवि ने धरती पीली ओढ़नी वसंत ऋतु में छायी सरसों की पीली फसल को कहा है, क्योंकि बसंत ऋतु में धरती पर चारों तरफ बहार छाई रहती है और सरसों के पीले फूलों से पूरी धरती पट जाती है। सरसों के पीले फूल ऐसे दिखाई पड़ते हैं कि ऐसे लगता है कि धरती ने पीले रंग की ओढ़नी ओढ़ रखी हो, इसीलिए कवि ने वसंत ऋतु को धरती की पीली ओढ़नी कहा है।

(ग) किससे कम है यह, पली धूप में सोना-धूल भरी धरती'-पंक्ति से कवि का क्या भाव प्रकट होता है।​

उत्तर : 'किससे कम है यह, पली धूप में सोना-धूल भरी धरती' किस से कम है, इस पंक्ति से कवि का आशय यह है कि बसंत ऋतु के मनमोहक वातावरण में धरती किसी स्त्री के सोने के गहने से कम नहीं दिखाई दे रही। जिस तरह सोना चमकदार पीली धातु है जो स्त्री के सौंदर्य को बढ़ा देता है। उसी तरह वसंत ऋतु में सरसों की पीली फसल ने धरती की सुंदरता को बढ़ा दिया है। इस सौंदर्य के आगे सारे सौंदर्य फीके पड़ गए हैं।

#SPJ3

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