चमक रहा है तेज तुम्हारा,
बन कर लाल सूर्य-मंडल,
फैल रही है कीर्ति तुम्हारी,
बन करके चाँदनी धवल।
चमक रहे हैं लाखों तारे,
बन तेरा शृंगार अमल,
चमक रही है किरण तुम्हारी,
चमक रहे हैं सब जल-थल।
हे जग के प्रकाश के स्वामी!
जब सब जग दमका देना,
मेरे भी जीवन के पथ पर,
कुछ किरणें चमका देना।
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