चमक रहा है तेज तुम्हारा,
बनकर लाल सूर्य-मंडल,
फैल रही है कीर्ति तुम्हारी,
बन करके चाँदनी धवल।
चमक रहे हैं लाखों तारे,
बन तेरा शृंगार अमल,
चमक रही है किरण तुम्हारी,
चमक रहे हैं सब जल-थल।
हे जग के प्रकाश के स्वामी!
जब सब जग दमका देना,
मेरे भी जीवन के पथ पर,
कुछ किरणें चमका देना।
(श्री सोहनलाल द्विवेदी)
- हिन्दी भारती : भाग-2 Bhav Arth
Answers
Answered by
1
Explanation:
bz a good day please find attached the invoice for the first time that I have to write a letter to solve sums of Ex 5 Differentiation illustration of a handsome and write to you as well soon and have to be a good day please see
Answered by
0
fbbgnfjjsjzbzhixbdvxhjxjdvbdbdixjddhdixixu
do when daya lifted the following 2and on Friday and pollution from a lot
Similar questions