चमक रहा उतुंग हिमालय, यह नमराज हमारा ही है,
जोड नहीं धरती पर जिसका, वह नगराज हमारा ही है।
नदी हमारी ही है गंगा, प्लावित करती मधुरस धारा,
बहती है क्या कहीं और भी, ऐसी पावन कल-कल धारा!
सम्मानित जो सकल विश्व में, महिमा जिनकी बहुत रही है,
अमर ग्रंथ वे सभी हमारे, उपनिषदों का देश यही है।
गाएँगे यश हम सब इसका, यह है स्वर्णिम देश हमारा,
आगे कौन जगत में हमसे, यह है भारत देश हमारा!
यह है भारत देश हमारा, महारथी कई हुए जहाँ पर,
यह है देश मही का स्वर्णिम, ऋषियों ने तप किए जहाँ पर।
यह है देश जहाँ नारद के, गूंजे मधुमय गान कभी थे,
यह है देश जहाँ पर बनते, सर्वोत्तम सामान सभी थे।
है देश हमारा भारत, पूर्ण ज्ञान का शुभ्र निकेतन,
यह है देश जहाँ पर बरसी, बुद्धदेव की करुणा चेतन।
है महान, अति भव्य पुरातन, गूंजेगा यह गान हमारा,
है क्या हम-सा कोई जग में, यह है भारत देश हमारा!
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'हमे पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम भाव रखना चाहिए यह बात समझाते हुए दादा-पीते के मध्य संवाद संवाद लिखिए।
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