Hindi, asked by Sakshe, 1 year ago

Can anybody can help me
Ek nibandh likhen 240 shabdo ka topic is desh ki Nirman aur Ujjwal Bhavishya Mein Vidyarthiyon ki Bhumika Asandhigd hai Kyunki Aaj ke Vidyarthi desh ki bhaavi karndDhar Hai

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Answered by Anonymous
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यूवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है. युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं. युवा देश का वर्तमान हैं, तो भूतकाल और भविष्य के सेतु भी हैं. युवा देश और समाज के जीवनमूल्यों के प्रतीक हैं. युवा गहन ऊर्जा और उच्च महत्वकांक्षाओं से भरे हुए होते हैं. उनकी आंखों में भविष्यके इंद्रधनुषी स्वप्न होते हैं. समाज को बेहतर बनाने और राष्ट्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का ही होता है. देश के स्वतंत्रता आंदोलन में युवाओं ने अपनी शक्ति का परिचय दिया था.

भारत एक विकासशील और बड़ी जनसंख्या वाला देश है. यहां आधी जनसंख्या युवाओं की है. देश की लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्याकी आयु 35 वर्ष से कम है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्टके अनुसार भारत सबसे बड़ी युवा आबादी वाला देश है. यहां के लगभग 60 करोड़ लोग 25 से 30 वर्ष के हैं. यह स्थिति वर्ष 2045 तक बनी रहेगी. विश्व की लगभग आधी जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है. अपनी बड़ी युवा जनसंख्या के साथभारत अर्थव्यवस्था नई ऊंचाई पर जा सकता है. परंतु इस ओर भी ध्यान देना होगा कि आज देश की बड़ी जनसंख्या बेरोजगारी से जूझ रही है. भारतीय संख्यिकी विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. देश में बेरोजगारों की संख्या 11.3 करोड़ से अधिक है. 15 से 60 वर्ष आयु के 74.8 करोड़ लोग बेरोजगार हैं,जो काम करने वाले लोगों की संख्या का 15 प्रतिशत है. जनगणना में बेरोजगारों को श्रेणीबद्ध करके गृहणियों, छात्रों और अन्य में शामिल किया गया है. यह अब तक बेरोजगारों की सबसे बड़ी संख्या है. वर्ष 2001 की जनगणना में जहां 23 प्रतिशत लोग बेरोजगार थे, वहीं 2011 की जनगणना में इनकी संख्या बढ़कर 28 प्रतिशत होगई. बेरोजगार युवा हताश हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में युवा शक्ति का अनुचित उपयोग किया जा सकता है. हताश युवा अपराध केमार्ग पर चल पड़ते हैं. वे नशाख़ोरी के शिकार हो जाते हैं और फिर अपनी नशे की लत को पूरा करने के लिए अपराध भी कर बैठते हैं. इस तरह वे अपना जीवन नष्ट कर लेते हैं. देश में हो रही70 प्रतिशत आपराधिक गतिविधियों में युवाओं की संलिप्तता रहती है.

देखने में आ रहा है कि युवाओं में नकारात्मकता जन्म ले रही है. उनमें धैर्य की कमी है. वे हर वस्तु अति शीघ्र प्राप्तकर लेना चाहते हैं. वे आगे बढ़ने के लिए कठिन परिश्रम की बजाय शॊर्टकट्स खोजते हैं. भोग विलास और आधुनिकता की चकाचौंध उन्हें प्रभावित करती है. उच्च पद, धन-दौलत और ऐश्वर्य का जीवन उनका आदर्श बन गए हैं. अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने में जब वे असफल हो जाते हैं, तो उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है. कई बार वे मानसिक तनाव का भी शिकार होजाते हैं. युवाओं की इस नकारत्मकता को सकारत्मकता में परिवर्तित करना होगा.

यदि युवाओं को कोई उपयुक्त कार्य नहीं दिया गया, तब मानव संसाधनों का भारी राष्ट्रीय क्षय होगा. उन्हें किसी सकारात्मक कार्य में भागीदार बनाया जाना चाहिए. यदि इस मानवशक्ति की क्रियाशीलता को देश की विकास परियोजनाओं में प्रयुक्त किया जाए, तो यह अद्भुत कार्य कर सकती है. जब भी किसी चुनौती का सामना करने के लिए देश के युवाओं को पुकारा गया, तो वे पीछे नहीं रहे. प्राकृतिक आपदाओं के समय युवा आगे बढ़कर अपना योगदान देते हैं, चाहे भूकंप हो या बाढ़. युवाओं ने सदैव पीड़ितों की सहायता में दिन-रात परिश्रम किया.
युवाओं के उचित मार्गदर्शन के लिए अति आवश्यक है कि उनकी क्षमता का सदुपयोग किया जाए. उनकी सेवाओं को प्रौढ़ शिक्षा तथा अन्य सराकारी योजनाओं के तहत चलाए जा रहे अभियानों में प्रयुक्त किया जा सकता है. वे सरकार द्वारा सुनिश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के दायित्व को वहन कर सकते हैं. तस्करी, काला बाजारी, जमाखोरी जैसे अपराधों पर अंकुश लगाने में उनकी सेवाएं ली जा सकती हैं. युवाओं को राष्ट्र निर्माणके कार्य में लगाया जाए. राष्ट्र निर्माण का कार्य सरल नहींहै. यह दुष्कर कार्य है. इसे एक साथ और एक ही समय में पूर्णनहीं किया जा सकता. यह चरणबद्ध कार्य है. इसे चरणों में विभाजित किया जा सकता है. युवा इस श्रेष्ठ कार्य में अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार भाग ले सकते हैं. ऐसी असंख्य योजनाएं, परियोजनां और कार्यक्रम हैं, जिनमें युवाओं की सहभागिता सुनिश्चत की जा सकती है. युवा समाज में समाजिक, आर्थिक और नवनिर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. वे समाज में प्रचलित कुप्रथाओं और अंधविश्वास को समाप्त करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं. देश में दहेज प्रथा के कारण न जाने कितनी ही महिलाओं पर अत्याचार किए जाते हैं, यहां तक कि उनकी हत्या तक कर दी जाती है. महिलाओं के प्रति यौन हिंसा से तो देश त्रस्त है. नब्बे साल की वॄद्धाओं से लेकर कुछ दिन की मासूम बच्चियों तक से दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी जाती है. डायन प्रथा के नाम पर महिलाओं की हत्याएं होती रहती हैं. अंधविश्वास में जकड़े लोग नरबलि तक दे डालते हैं. समाज में छुआछूत, ऊंच-नीच और जात-पांत की खाईभी बहुत गहरी है. दलितों विशेषकर महिलाओं के साथ अमानवीयता व्यवहार की घटनाएं भी आए दिन देखने और सुनने को मिलती रहती हैं, जो सभ्य समाज के माथे पर कलंक समान हैं. आतंकवाद के प्रति भी युवाओं में जागृति पैदा करने की आवश्यकता है. भविष्य में देश की लगातार बढ़ती जनसंख्या का पेट भरने के लिएअधिक खाद्यान्न की आवश्यकता होगी. कृषि में उत्पादन के स्तरको उन्नत करने से संबंधित योजनाओं में युवाओं को लगाया जा सकता है. इससे जहां युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं देश और समाज हित में उनका योगदान रहेगा.


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