Can anyone explain this poem's meaning pls ( poem in pic)
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Explanation:
यह कविता अटल बिहारी वाजपेई जी के द्वारा लिखी गई है और इस कविता में यह बताया गया है कि वैसे ऊंचाई किसी काम की नहीं है जो दूसरे लोगों को लाभ ना पहुंचाता हो जैसा कि कहा भी गया है बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर उसी तरह कभी भी हमें अपनी अच्छाइयों को देखकर अपने अच्छे दिनों को देखकर कभी भी दूसरों के प्रति नीच भावना नहीं रखनी चाहिए क्योंकि हर चीज ऊंचाई ही नहीं होती है सिर्फ होने से कुछ नहीं होता है हमें लोगों की मदद भी करनी चाहिए हमारे अंदर दया भावना भी होना जरूरी है तथा हमें किसी को नीचा नहीं दिखाना चाहिए जो अपनी ऊंचाई किस मद में चूर होते हैं उनके साथ कोई नहीं होता है और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं होता जो उनके बुरे दिनों में उनकी मदद कर सके वह अंत में वह अकेला ही रह जाता है जैसा कि हम देख सकते हैं कि पहाड़ इतना ऊंचा होता है तब भी वह अकेला ही खड़ा होता है उसके साथ कोई नहीं खड़ा होता है लेकिन यह पहाड़ की महानता नहीं है