can anyone give a character sketck of father bulke.??
Answers
फ़ादर बुल्के
फ़ादर बुल्के भारतीयता में पूरी तरह से रच-बस गए थे। उनका जन्म रेम्सचैपल (बेल्जियम) में हुआ था परंतु भारत में आकर बस जाने के उपरांत उनमें कोई उनके देश का नाम पूछता, तो वह उसे भारत ही बताते थे। उन्होंने भारत में आकर हिंदी और संस्कृत को केवल पढ़ा ही नहीं, अपितु संस्कृत के कॉलेज में विभागाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोष भी लिखा। भारतीय संस्कृति के महानायक राम और राम-कथा को उन्होंने अपने शोध का विषय चुना तया ‘रामकथा : उत्पत्ति और विकास' पर शोध प्रबंध लिखा। फादर बुल्के हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के इच्छुक थे। वास्तव में वह भारतीयता का अभिन्न अंग थे।
वह एक संन्यासी थे, परंतु पारंपरिक अर्थ में हम उन्हें संन्यासी नहीं कह सकते क्योंकि संन्यासी के रूप में उनकी एक नवीन छवि ही हमारे सामने उभरकर सामने आती है। वे परंपरागत ईसाई पादरियों या भारतीय संन्यासियों से भिन्न थे। वे संकल्प से संन्यासी ये, मन से नहीं। उनका जीवन नीरस नहीं था। व्यवहार और कर्म से संन्यासी होते हुए भी अपने परिचितों के साथ वे गहरा लगाव रखते थे। वे सभी के परिवारों में आते-जाते रहते थे, उल्लवों एवं समारोहों में भाग लेते थे तथा पुरोहित की तरह आशीष देते थे। दुःख की स्थिति में वे लोगों को सांत्वना देते थे, उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करते थे।