Can anyone please explain me this?
पग नूपुर औं पहुंची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिये ।
नवनील कलेवर पीत झगा झलकै पुलकै नृप गोद लिये ।
अरविंद सो आनन रूप मरंद अनंदित लोचन-भृंग पिये ।
मन में न बस्यो अस बालक जो तुलसी जग में फल कौन जिये ।।
तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरेँ ।
अति सुंदर सोहत धूरि भरे छवि भूरि अनंग की दूरि धरै ।
दमकै दौतयाँ दुति दामिनि ज्यों , किलकै कल बाल विनोद करें ।
अवधेस के बालक चारि सदा तुलसी मन - मंदिर में विहरैं ।।
कबहूँ ससि माँगत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि डरें ।
कबहूँ करताल बजाय के नाचत , मातु सबै मन मोद भरें ।
कबहूँ रिसियाइ कहँ हठि कै , पुनि लेति सोई जेहि लागि अरैं ।
अवधेस के बालक चारि सदा , तुलसी मन - मंदिर में विहरैं ।।
वर दंत की पंगति कुंदकली अधराधर पल्लव खोलन की ।
चपला चमकै घन बीच जगै छवि मोतिन माल अमोलन की ।
घुंघरारी लट लटकेँ मुख ऊपर , कुंडल लोल कपोलन की ।
नेवछावरि प्रान करें तुलसी बलि जाऊँ लला इन बोलन की ।।
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non
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