Can anyone pls say me the summary of Naya rasta chapters 1 to 4
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नया रास्ता दो सहेली नीलिमा और मीनू की कहानी है | नीलिमा सुंदर मगर मीनू थोड़ी सावली है | दोनों ही एक दूसरे की परवाह करते थे |
पाठ - 1नीलिमा खुद को आईने में निहार रही थी तभी मीनू आई | वह खुश नज़र आ रही थी क्योंकि उसकी तस्वीर मेरठ के लड़के वालों को पसंद आ गयी थी | नीलिमा की खूबसूरती देख वो खुद में हीन भावना महसूस करती थी जिसे नीलिमा ने भांप लिया था पर तुरंत ही उसका भाई नीलिमा की माँ के साथ कमरे में आए और साथ लाये एम.ए. के परिणाम जिसमें मीनू प्रथम श्रेणी में पास हुई थी और नीलिमा दूसरे श्रेणी में | मीनू बहुत ख़ुशी से झूमने लगी और अपने घर चली गयी | नीलिमा मीनू का उदास चेहरा न भूल पाई |
पाठ - 2 दयाराम जी के घर लड़के वालों के स्वागत की तैयारी चल रही थी | विभिन्न प्रकार के व्यंजन और अनेक मिठाईयां थीं | मीनू की माँ को रिश्ता पक्का होने की आशा थी | कुछ देर बाद लड़का अमित, उसके पिता मायाराम जी, उसकी माँ और बहन आए | बात चली और फिर अमित और मीनू अकेले बातें करने लगे | अमित ने उसकी पसंद पूछा और फिर पूछा की क्या वह उनके संयुक्त परिवार में रह पाएगी जिस पर मीनू ने हां कहा | अमित के मन में मीनू का भोला चेहरा घर कर गया | तभी उसकी बहन आशा और भाई रोहित आ गए | आशा सुंदर थी और उस सुंदर चेहरा अमित की माँ को भा गया | मीनू की माँ को सबका आशा से ज्यादा बातें करना पसंद नहीं आ रहा था क्योंकि मीनू को थोड़े सांवले रंग की वजह से ना कह दिया गया था | जाते समय अमित के घरवालों ने कहा की वे विचार करेंगे और फिर पत्र भेजेंगे |
पाठ - 3अमित और मायाराम जी जब घर पहुंचे तो एक सज्जन उनका इंतजार कर रहे थे | वह एक धनी व्यक्ति थे जिनका नाम धनीमल था | वे अपनी बेटी सरिता का रिश्ता लेकर आए थे | सरिता की फोटो और शादी में पांच लाख खर्च करने का प्रस्ताव दिया | मायाराम जी दहेज़ विरोधी थे और उनके प्रस्ताव को ना कह दिया | उन्होंने बताया की उन्होंने एक लड़की देख कर आ रहे हैं जो पसंद हैं | मायाराम जी अपने बेटे को पैसों में जकड़ना नहीं चाहते थे | धनीमल जी ने फिर भी एक बार विचार करने को कह कर चले गए | सबने जब बाद में सोचा तो मायाराम जी को मीनू ही ठीक लगी पर माताजी को पैसों का लालच आ गया | उन्होंने सरिता की तरफदारी की | अमित को शंका थी की बड़े घर की लड़की संयुक्त परिवार में रह पाएगी पर माँ की तर्क के आगे कोई कुछ न कह सका | मीनू को मना करना तय हुआ पर समझ नहीं आया कैसे | माताजी ने सुझाया की पत्र में मीनू की जगह आशा का रिश्ता माँगा जाए जिस पर लड़की वाले खुद ही ना कह देंगे | मायाराम जी ने पत्र लिखा पर इन सब से खुश न थे और अपराधबोध हो रहा था | उन्हें लड़कीवालों पर होने वाले पीड़ा का आभास था |
पाठ - 4- मीनू की बचपन से ही पढ़ाई में रुचि थी |
वह सदैव कक्षा में प्रथम आती थी | m.a. की परीक्षा भी उसने प्रथम श्रेणी से पास की |
वह सिलाई ,बुनाई ,कटाई ,खाना बनाना तथा पेंटिंग आधी सभी कामों में निपुण थी |कद-काटी में पतली छोटी सी दिखने वाली मीनू ने वैसे तो सभी परीक्षाएं प्रथम श्रेणी से पास की थी, पर शादी के लिए जब उसे कोई देखने जाता तो साॅवली होने के कारण वह मीनू को नापसंद कर देते थे |
उसकी छोटी बहन आशा रंग रूप में मीनू से कहीं ज्यादा सुंदर थी |
मेरठ निवासी मायाराम जी अपने पुत्र अमित के रिश्ते के लिए पत्नी शहीद उसे देखने आए तो अमित के ह्रदय में मीनू का भोला-भाला चेहरा समा गया |
मायाराम जी जब वापस जाने लगे तो दयाराम जी के यह पूछने पर भाई साहब , क्या जवाब रहा ? उन्होंने कहा कि घर जाकर विचार करेंगे | उसके बाद आपको पत्र लिखेंगे |
मायाराम जी जब अपने घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मेरठ शहर के एक धनी व्यक्ति धनीमाल उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं | धनीमल ने अपने छूट सबसे छोटी पुत्री सरिता का रिश्ता अमित से प्रस्ताव रखा तथा साथी यह भी बताया कि वह शादी में 500000 रुपया खर्च करेंगे |
मायाराम जी दहेज विरोधी थे, मायाराम की पत्नी 5 लाख की बात सुनते ही यह भूल गई कि वह अभी मीनू को देख कर आई है और अमित को मीनू पसंद भी है |
मायाराम जी की पत्नी ने अपने पति को विवश कर दिया कि किसी भी तरह से मीरापुर वाला रिश्ता अस्वीकार कार कर दे |
पत्नी के सुझाव पर मायाराम जी ने दयाराम जी को पत्र लिखा कि हमें तुम्हारी छोटी बैटी आशा पस्रन्द है । यदि आप हमारे यहाँ शादी करना चाहते हैं तो मीनूसे नहीं बल्कि आशा से कर दें ।
दयाराम जो घर के सभी सदस्यों की सलाह मानकर इस नथे प्रस्ताव को पक्का करने के लिए मेरठ गए तो वहाँ पर उन्हें फ्ता कि उन्होने अमित का रिश्ता धनीमल जी का बेटी सरिता से पवका का लिया है । धनीमल शादी में पचि लाख रुपये खर्च करेगे' ।
घर पहुचने पर दयाराम जी का उदास चेहरा दखकार तथा वास्तविकता जानने पर सबका हदय मायाराम जी के परिवार के प्रति घृणा से भर गया ।
अन्त में मायाराम जी दयाराम जी से क्षमा याचना काते हुए अमित का रिश्ता मीनू से कर देने की प्रार्थना कस्ते हैँ । दयाराम जो अपनी पुत्री मोनू से बात कर उसकी राय जानना चाहते हैँ । मीनू के अपनी माँ से यह कहने पर कि जैसा आप उचित समझें बैसा ही करें उसकी माता-पिता चैन की साँस लेते है' । शादी की तिथि निश्चिता हो जाती है ।
मानू दुल्हन बनी l उसकी डोली सजी और वह अपने पिया संग ससुराल को चल दी ।
उसे जिस मंजिल क्री तलाश ' थी आज बह उसे मिल गईं । उसने अपने साहस, लगन और परिश्रम से नये रास्ते की खोज की थी इसलिए इस उपन्यास का शीर्षक 'नया रास्ता' सार्थक है । उपन्यास के कथानक के अनुसार शीर्षक के अौवित्य पर किसी प्रकार क्री टीका-टिप्पणी काना व्यर्थ की आलोचना मात्र होगी ।