Hindi, asked by mjoshitha6, 1 month ago

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Answers

Answered by bhupendra1666
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Explanation:

अपने गावं में भोलाशंकर एक अच्छा खासा दुकानदार था। आसपास के गांवो में भी राशन की कोई अच्छी दुकान नहीं थी। इसलिए भोलाशंकर की दुकान खूब चलती थी। गांव से 15 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर पड़ता था, उसी शहर से भोलाशंकर बिक्री के लिए सौदा ले कर आता। 15 दिन में बिक्री के मुताबिक़ माल की तीन-चार खेप अपनी बैलगाड़ी से खुद ढ़ो लाता था। दरअसल उन दिनों भोलाशंकर के गांव से हो कर कोई ट्रक या टेंपू नहीं चलता था।

सिंतबर महीने का आखिरी सप्ताह था। गांवो में सरसों की बोआई के लिए खेतों की जुताई चल रही थी। “बोआई के समय सरसों की अच्छी बिक्री होगी”। सोच कर भोलाशंकर ने हर बार की तरह दुकान में अपने नौकर को बैठा कर सरसों की चार-पांच बोरियां ले आने का निश्चय किया और इतवार की सुबह बैलगाड़ी ले कर शहर के लिए रवाना हो गया।

सरसों की चार बोरियां के साथ दूसरा सामान भी खरीदना था। दिन ढल गया तभी शहर से रवाना हो पाया।

वैसे तो भोलाशंकर साहसी था शरीर से हट्टा-कट्टा, इसलिए रात होने पर भी उसे कोई परवाह नहीं थी।

शरह की जगमगाती सड़के पार कर के जब भोलाशंकर अपने गांव की तरफ जाने वाली कच्ची सड़क पर गाड़ी हांक कर लाया तो अंधकार घिर चुका था। अंधेरे में गाड़ी खींचना बैलों के लिए कठिन होने लगा। अंधेरे में रास्ता देखने के लिए भोलाशंकर टोर्च का प्रयोग कर लेता था। सड़क न तो बैलों के लिए अपरिचित थी और न भोलाशंकर के लिए ही।

उसी सड़क से हो कर वह महीने में सात-आठ बार माल ले कर आया करता था। इसलिए सड़क के आसपास पड़ने वाली बस्ती के लोगों से भी भोलाशंकर का अच्छा परिचय था, जब जब वह उधर से गुजरता, गाडी रोक कर बस्ती वालों से पांच-दस मिनट बातें करता और तब गाडी आगे बढ़ाता।

इसलिए भोलाशंकर को घने अंधकार के बावजूद चोर-लुटेरों का भय नहीं था। बैलों के गले बंधी घंटी की आवाज के साथ उस की आवाज से भी बस्ती वाले परिचित थे, फिर डर किस बात का?

भोलाशंकर रसिक नहीं था और कला का जानकार भी नहीं था, फिर भी उसे कुछ भदई छंद याद थे। रास्ते का एकाकीपन दूर करने के लिए भोलाशंकर ने टूटे-फुटे छंद जोड़ कर एक नया रूप दे दिया।

तेज आवाज से गाते झुमते भोलाशंकर ने आधा रास्ता कर लिया। अपने गांव पहुंचने के लिए अभी उसे सात किलोमीटर रास्ता और तय करना था। आगे पड़ने वाली बस्ती के लोग तो उस के अपने जैसे थे। इसलिए भोलाशंकर बेपरवाही से भदई छंद छेड़ने लगा।

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