Hindi, asked by Somya567890, 3 months ago

Can anyone tell me what is the meaning of this line which is from the chapter Surdas ke pad.... ​

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Answered by royrajeev9060
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tumhara question nhi dikh rha hai

Answered by kumarisneha36
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जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, आंधर कों सब कछु दरसाई॥ बहिरो सुनै, मूक पुनि बोलै, रंक चले सिर छत्र धराई। सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तेहि पाई॥ भावार्थ :-- जिस पर श्रीहरि की कृपा हो जाती है, उसके लिए असंभव भी संभव हो जाता है।

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