can anyone tell the short meaning of this vakh
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आई सीधी राह से, गई न सीधी राह्।
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को दूँ, क्या उतराई।
किसी का जब इस संसार में जन्म होता है तो वह एक युगों से चल रहे सीधे तरीके से होता है। ऊपर वाला सबको एक ही जैसा बनाकर भेजता है। लेकिन जब हम अपनी जीवन यात्रा तय करते हैं तो बीच में कई बार भटक जाते हैं।
योग में सुषुम्ना नाड़ी पर नियंत्रण को बहुत महत्व दिया गया है। कहा गया है कि योग से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है और उससे शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं। ये भी बताया जाता है कि यह नियंत्रण आपको ईश्वर के करीब पहुँचने में मदद करता है।
आखिर में जब भक्त की नाव को भगवान पार लगा देते हैं तो वह कृतध्न होकर उन्हें कुछ देना चाहता है। लेकिन भक्त की श्रद्धा की पराकाष्ठा ऐसी है कि उसे लगता है कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। जो कुछ उसने जीवन में पाया वो सब तो भगवान का दिया हुआ है। वह तो खाली हाथ इस संसार में आया था और खाली हाथ ही वापस गया।
Hope it helps you
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सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
जेब टटोली, कौड़ी न पाई।
माझी को दूँ, क्या उतराई।
किसी का जब इस संसार में जन्म होता है तो वह एक युगों से चल रहे सीधे तरीके से होता है। ऊपर वाला सबको एक ही जैसा बनाकर भेजता है। लेकिन जब हम अपनी जीवन यात्रा तय करते हैं तो बीच में कई बार भटक जाते हैं।
योग में सुषुम्ना नाड़ी पर नियंत्रण को बहुत महत्व दिया गया है। कहा गया है कि योग से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है और उससे शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं। ये भी बताया जाता है कि यह नियंत्रण आपको ईश्वर के करीब पहुँचने में मदद करता है।
आखिर में जब भक्त की नाव को भगवान पार लगा देते हैं तो वह कृतध्न होकर उन्हें कुछ देना चाहता है। लेकिन भक्त की श्रद्धा की पराकाष्ठा ऐसी है कि उसे लगता है कि उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। जो कुछ उसने जीवन में पाया वो सब तो भगवान का दिया हुआ है। वह तो खाली हाथ इस संसार में आया था और खाली हाथ ही वापस गया।
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Anahat:
I have one problem that I don't know how to make this question brilliant
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12
आई सीधी राह से, गई न सीधी राह !
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह !
जेब टटोली, कौड़ी ना पाई !
मांझी को दूँ क्या उतराई ?
_______________________
इस वाक्य में कवयित्री हठ योग की साधना का उल्लेख करती है । साधना के द्वारा कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है । देखते - देखते जीवन समाप्त हो जायेगा । तब पता चलेगा कि मेरे पास प्रेमी रुपी झाँकी की एक फूटी कौड़ी भी नहीं है । कवयित्री कहती हैं कि सीधे मार्ग से मुझे जो जीवन प्राप्त हुई है, मैं उससे मुक्ति पाना चाहती हूँ । परंतु मेरे पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है जिसने मुझे मार्ग बताया । अतः कवयित्री कहती हैं कि प्रेम और मुक्ति के सहारे ईश्वर तक पहुँचा जा सकता हैं , केवल ज्ञान और योग से नहीं ।
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह !
जेब टटोली, कौड़ी ना पाई !
मांझी को दूँ क्या उतराई ?
_______________________
इस वाक्य में कवयित्री हठ योग की साधना का उल्लेख करती है । साधना के द्वारा कुछ प्राप्त होने वाला नहीं है । देखते - देखते जीवन समाप्त हो जायेगा । तब पता चलेगा कि मेरे पास प्रेमी रुपी झाँकी की एक फूटी कौड़ी भी नहीं है । कवयित्री कहती हैं कि सीधे मार्ग से मुझे जो जीवन प्राप्त हुई है, मैं उससे मुक्ति पाना चाहती हूँ । परंतु मेरे पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है जिसने मुझे मार्ग बताया । अतः कवयित्री कहती हैं कि प्रेम और मुक्ति के सहारे ईश्वर तक पहुँचा जा सकता हैं , केवल ज्ञान और योग से नहीं ।
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