can i have one essay on paryavaran sanrakshan ka avashyakata in hindi??
Answers
Answered by
6
पर्यावरण का मतलब है हमारे आसपास के पेड़, पौधे, पहाड़, जल, भूगर्भ
जल, नदी, पत्थर, मिट्टी, वन, जलचर, जानवर, आदमी, आकाश, हवा
,झरने इत्यादि
। जो जो चीज मानव ने नहीं बनाया, वे सब पर्यावरण में
शामिल होते हैं । जो चीजें सहज सिद्ध हैं धरती और आकाश पर, वे
सब मिल कर पर्यावरण बनता है।
हर व्यक्ति अपने परिवार में और पर्वावरण में निवास करता है । हर आदमी अपने पर्वावरण का एक हिस्सा होता है और अलग से नहीं । परवावरण में होने वाली विभिन्ना प्रकार की गति विभांधियों (यानी बदलाव) से वह बहुत प्रभावित होता है । इसलिये जरूरी है कि हमारा पर्वावरण साफ और सुधारा रहे । परवावरण में किसी प्रकार के असंतुलन (मिस-मॅनेज्मेंट, इमबॅलेन्स) ना पैदा हो जाए ।
लेकिन कई कारणों से हमारे पर्यावरण में असंतुलन आ पहुंचा । जल, वायु, मिट्टी, वन जैसे प्रकृतिक तत्व प्रदूषित (पोल्यूटेड) हो रहे हें । इस का परिणाम हें जलवायु में परिवर्तन, जैव विभान्धता के लिये संकट, बाढ़, सूखा (फमीन), और स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं का उत्पन्न होना । बहुत लोग टी. बी. से मर भी जाते हैं । मच्छर, किटानों और हानिकारक वैरस फैलते हैं। स्वास्थ्य ले मामले में बहुत धन लोगों का और सरकार का भी कर्च होता है। जब देश में परवावरण ठीक हो, तो विदेशी यात्री ज्यादा आते हैं। भारत में विदेशी लोग ज्यादा नहीं आते, बीमारी की डर से।
पर्यावरण अगर हम नहीं बचाएंगे तो दुनिया और भी गरम हो जाएगा। गरमी के मौसम सहने में मुश्किलें पैदा होंगी। ओज़ोन वायु का एक परत है भूमि के ऊपर , जो सूर्य नक्षत्र से आते हुए u.v. (पराबैंगनी किरण ) को वापस करता है, हमारे शरीर पर पड़ने नहीं देता। अगर प्रदूषण से ओज़ोन परत में छेद करेंगे तो फिर लोगों के त्वचा पर बुरी असर पड़ता है। हम धरती पर पैदा हुए है, हमारा इतना तो धर्म होता है कि धरती को और उसके पर्यावरण को ठेस हमसे नहीं पहुंचे । अगर मैं आपके घर आता हूँ और कुछ चीजें जला देता हूँ, तो आपको अच्छा नहीं लगता है न। इतना ही तर्क है।
हम तो हर दिन कुछ न कुछ टीवी, आकाशवाणी और अखबार में सुनते हैं और पढ़ते है की कहीं न कहीं बारिश नहीं होता, और कहीं बढ़ आते हैं। कहीं तूफान आते हैं तो कहीं आंधी । हम ज्यादा से ज्यादा भूगर्भ जल बाहर निकालकर इस्तेमल करते आ रहे हैं । इसका परिणाम यह हो सकता है कि कुछ दशाब्दों के बाद पानी की कमी पड सकता है । बारिश होने के बाद उस पानी को बचाने के कुछ तरीके हैं "रैन वॉटर हार्वेस्टिंग " कहते हैं ।
अतः हमें अपनी गाति विभांधियों को नियंत्रित करना होगा, जो परवावरण को बुरी तरह से बिगाड़ रहे हें । हमें अपने चारों ओर की आबोहवा को शुद्ध रखना होगा। हमें जल और वायु की शुद्धता बनाये रखने के प्रयास करने होंगे । वनों को नष्ट होने से रोकना होगा और बचाना होगा । वन्य जीवन के संरक्षण के प्रयास हमें करने होंगे । कई तरीके के इंधन हम जब जलाते हैं, उससे बहुत धुआं निकलता है । इस धुए में रसायनिक वायु होते हैं । कुछ औध्योगिक संस्थाएं हानिकारक रसायन, अपशिष्ट, रद्दी नदी या समुंदर के पानी में मिलाते हैं । इस से जल चर मर जाते हैं । कुछ प्लास्टिक (सुघटिय) और बहुलक हम थैलियों के रूप में इस्तेमाल करते हैं । हम पोलिथीन की थैली इधर उधर फेंक देते हैं । वे मिट्टी में सहज रूप में अपने आप बदल नहीं जाती हैं, जैसे कि कागज, मानव और जन्तु शरीर मिट्टी में मिल जाते हैं । हमें वही चीज इस्तेमाल करना चाहिए जोकि हमारे वातावरन को हानि नहीं पहुंचाते हैं ।
। जो चीज पर्यावरण (मिट्टी, स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी) में नहीं मिल जाता हो, वह प्रदूषण ही होता है। हमें ऐसा करने का हक नहीं है।
वाहन चालक को अपने वाहन से प्रदूषण नहीं हो, इसका खयाल रखना चाहिए । कम से कम बिजली कि इस्तेमाल करें और जो जो घर के अंदर उपकरण और यंत्र हर रोज इस्तेमाल करते हैं , उनके दक्षता सूचकांक हमें जांच लेना चाहिए। ऊर्जा शक्ति की इस्तेमाल अधिक से अधिक हो, उन्हें चुनलेना चाहिए ।
अपने पर्वावरण को सही दशा (हालात) में बनाए रखना हमारा अपना और प्रति एक नागरिक का परम कर्तव्य है। नहीं तो हम आराम से हवा नहीं खा पायेंगे ना पानी पी पायेंगे। सारे ओर विनाश ही नजर आयेगा। बदलो और बदलाव लाओ ।
हर व्यक्ति अपने परिवार में और पर्वावरण में निवास करता है । हर आदमी अपने पर्वावरण का एक हिस्सा होता है और अलग से नहीं । परवावरण में होने वाली विभिन्ना प्रकार की गति विभांधियों (यानी बदलाव) से वह बहुत प्रभावित होता है । इसलिये जरूरी है कि हमारा पर्वावरण साफ और सुधारा रहे । परवावरण में किसी प्रकार के असंतुलन (मिस-मॅनेज्मेंट, इमबॅलेन्स) ना पैदा हो जाए ।
लेकिन कई कारणों से हमारे पर्यावरण में असंतुलन आ पहुंचा । जल, वायु, मिट्टी, वन जैसे प्रकृतिक तत्व प्रदूषित (पोल्यूटेड) हो रहे हें । इस का परिणाम हें जलवायु में परिवर्तन, जैव विभान्धता के लिये संकट, बाढ़, सूखा (फमीन), और स्वास्थ्य संबंधी अनेक समस्याओं का उत्पन्न होना । बहुत लोग टी. बी. से मर भी जाते हैं । मच्छर, किटानों और हानिकारक वैरस फैलते हैं। स्वास्थ्य ले मामले में बहुत धन लोगों का और सरकार का भी कर्च होता है। जब देश में परवावरण ठीक हो, तो विदेशी यात्री ज्यादा आते हैं। भारत में विदेशी लोग ज्यादा नहीं आते, बीमारी की डर से।
पर्यावरण अगर हम नहीं बचाएंगे तो दुनिया और भी गरम हो जाएगा। गरमी के मौसम सहने में मुश्किलें पैदा होंगी। ओज़ोन वायु का एक परत है भूमि के ऊपर , जो सूर्य नक्षत्र से आते हुए u.v. (पराबैंगनी किरण ) को वापस करता है, हमारे शरीर पर पड़ने नहीं देता। अगर प्रदूषण से ओज़ोन परत में छेद करेंगे तो फिर लोगों के त्वचा पर बुरी असर पड़ता है। हम धरती पर पैदा हुए है, हमारा इतना तो धर्म होता है कि धरती को और उसके पर्यावरण को ठेस हमसे नहीं पहुंचे । अगर मैं आपके घर आता हूँ और कुछ चीजें जला देता हूँ, तो आपको अच्छा नहीं लगता है न। इतना ही तर्क है।
हम तो हर दिन कुछ न कुछ टीवी, आकाशवाणी और अखबार में सुनते हैं और पढ़ते है की कहीं न कहीं बारिश नहीं होता, और कहीं बढ़ आते हैं। कहीं तूफान आते हैं तो कहीं आंधी । हम ज्यादा से ज्यादा भूगर्भ जल बाहर निकालकर इस्तेमल करते आ रहे हैं । इसका परिणाम यह हो सकता है कि कुछ दशाब्दों के बाद पानी की कमी पड सकता है । बारिश होने के बाद उस पानी को बचाने के कुछ तरीके हैं "रैन वॉटर हार्वेस्टिंग " कहते हैं ।
अतः हमें अपनी गाति विभांधियों को नियंत्रित करना होगा, जो परवावरण को बुरी तरह से बिगाड़ रहे हें । हमें अपने चारों ओर की आबोहवा को शुद्ध रखना होगा। हमें जल और वायु की शुद्धता बनाये रखने के प्रयास करने होंगे । वनों को नष्ट होने से रोकना होगा और बचाना होगा । वन्य जीवन के संरक्षण के प्रयास हमें करने होंगे । कई तरीके के इंधन हम जब जलाते हैं, उससे बहुत धुआं निकलता है । इस धुए में रसायनिक वायु होते हैं । कुछ औध्योगिक संस्थाएं हानिकारक रसायन, अपशिष्ट, रद्दी नदी या समुंदर के पानी में मिलाते हैं । इस से जल चर मर जाते हैं । कुछ प्लास्टिक (सुघटिय) और बहुलक हम थैलियों के रूप में इस्तेमाल करते हैं । हम पोलिथीन की थैली इधर उधर फेंक देते हैं । वे मिट्टी में सहज रूप में अपने आप बदल नहीं जाती हैं, जैसे कि कागज, मानव और जन्तु शरीर मिट्टी में मिल जाते हैं । हमें वही चीज इस्तेमाल करना चाहिए जोकि हमारे वातावरन को हानि नहीं पहुंचाते हैं ।
। जो चीज पर्यावरण (मिट्टी, स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी) में नहीं मिल जाता हो, वह प्रदूषण ही होता है। हमें ऐसा करने का हक नहीं है।
वाहन चालक को अपने वाहन से प्रदूषण नहीं हो, इसका खयाल रखना चाहिए । कम से कम बिजली कि इस्तेमाल करें और जो जो घर के अंदर उपकरण और यंत्र हर रोज इस्तेमाल करते हैं , उनके दक्षता सूचकांक हमें जांच लेना चाहिए। ऊर्जा शक्ति की इस्तेमाल अधिक से अधिक हो, उन्हें चुनलेना चाहिए ।
अपने पर्वावरण को सही दशा (हालात) में बनाए रखना हमारा अपना और प्रति एक नागरिक का परम कर्तव्य है। नहीं तो हम आराम से हवा नहीं खा पायेंगे ना पानी पी पायेंगे। सारे ओर विनाश ही नजर आयेगा। बदलो और बदलाव लाओ ।
kvnmurty:
click on thanks button above pls;;select best answer
Similar questions
Science,
8 months ago
Math,
8 months ago
English,
8 months ago
English,
1 year ago
Social Sciences,
1 year ago