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Your answer army ⟬⟭ ⟬⟭ ⟬⟭
- महेश और राघव अपने माता – पिता के साथ सुखी परिवार के रूप में जीवन व्यतीत करते थे। महेश को खाना बनाना बहुत ज्यादा अच्छा लगता था। राघव को उसकी मदद करना अच्छा लगता था लेकिन राघव की एक बुरी अदद भी हो गई थी , राघव फ्री टाइम में कानो में ईयरफ़ोन लगाकर गानों में मस्त रहता था। वह अब दूसरों की बाती पर भी ध्यान नही देता था। अब तो राघव ने हद ही पार कर दी थी , वह तो अब हर एक टाइम ही ईयरफ़ोन लगाकर गाने सुनने लगा था। ज्यादा समय तक सुनने से हमारे कानो में बड़ा प्रभाव भी हो सकता हैं। उसके माता –पिता के बहुत समझने पर भी वह नही मानता हैं ।
- अगला दिन ,राघव अपने काम के लिए घर से बाहर नकलता हैं। महेश घर पर ही रहकर अपने काम को खतम कर रहा था। राघव फिर से ईयरफ़ोन लगाकर अपने ऑफिस पहुंचने लगता हैं। जैसे ही वह सड़क पर करता हैं तो उसके दाईं तरफ से एक गाड़ी हॉर्न बजाती हुई आती हैं मगर वह तो गाने सुन रहा था इसलिए उसे गाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई नही देती और वहा पर एक दुर्घटना घट जाती हैं।लोग पुलिस को सूचना देते हैं और पुलिस उनके परिवार को। वे उसे हॉस्पिटल में भर्ती करवा देते हैं। इतने में उनके परिवार वाले भी आ जाते हैं।वे सब बहुत दुखी होते हैं।
- कुछ दिनों के बाद , डॉक्टर उनको बताता हैं की वह ठीक होने वाला हैं , बस कुछ दिन और फिर ये घर वापिस जा सकेगा।यह सुनकर उन सब की जान में जान आती है। और ऐसा ही होता है , कुछ दिनों के बाद राघव ठीक ठाक होकर घर वापिस आ जाता हैं।उसके परिवार वाले उसे देखकर बहुत खुश होते हैं। वह उन सबसे वादा करता हैं की वह कभी भी ऐसा नही करेगा।
सबक: हमे हमेशा अपने परिवार की बात सुननी चाहिए क्यूंकि वे जो कहते हैं , हमारी भलाई के लिए ही कहते हैं।
you can write in your own also ...
HIHY
( Hope it's help you )
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