Hindi, asked by deeya3, 1 year ago

Can someone send the question answers for manavta hi vishwa satya hai

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Answered by VikasYadav11
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जब जीवन की एक सांस, एक पल का भरोसा नहीं तब भी छल, कपट, भ्रष्ट बनकर लोग अन्य लोगों के दिलों को दुखाकर हवेली बनवा रहे हैं। भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए सत्य सुख शान्ति का मर्म भी नहीं समझ रहे, जीवन के अंत का भी अहसास नहीं कर रहे हो, सच्चा सुख तो केवल परमात्मा की शरण है। उन्होंने कहा परमात्मा कठोर नहीं, परमात्मा बहुत ही दयालु और सरल सुबोध है जो सत्य के मार्ग पर चलते हैं उन्हें वह विपताओं से उभारते हैं। जब भक्त व परमात्मा मिल जायें तो भक्त को परमात्मा से कुछ मांगने की आवश्यकता भी नहीं क्योंकि स्वयं महाप्रभु परमात्मा तुम्हारे साथ है।
Answered by bhatiamona
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मानवता ही विश्व सत्य का भाव

मानवता सेवा ही सच्ची सेवा है | मनुष्य पैसों से अमीर नहीं बनता , अपनी मानवता दूसरों के प्रति दया , सेवा से अमीर बनता है |  मानव का जन्म अच्छे कर्म  और मानवता की सेवा के लिए हुआ है।  मानव को सब के साथ प्यार प्रेम के साथ रहना चाहिए | हमें पशु-पक्षी बेजुवानों की भी सेवा करनी चाहिए |

मुसीबत के समय में सबकी मदद करनी चाहिए |  जो लोग अहसाय होते है , बुज़ुर्ग होते , अपंग होते है हमें उनकी हमेशा मदद और सेवा करनी चाहिए | हमेशा उन्हें अपनेपन का अहसास दिलाना चाहिए |  मानव अपने साथ अपने कर्म लेकर जाता है | पैसों को बिना मतलब के खर्च करने से अच्छा उन्हें , जिनको जरूरत है उनकी सेवा में इस्तेमाल करने चाहिए |  व्यक्ति-परिवार, समुदाय, समाज, राष्ट्र से मानवता तक नैतिक मूल्यों की पहचान  होती है।  

अशान्ति और लड़ाई को रोकने के लिए इसके लिए हमें यही कोशिश करनी चाहिए कि हमें मानवता का रास्ता अपनाना चाहिए | आपसी मित्रता को बढावा देना चाहिए| आपस में जो भी मसले होते है उन्हें मिल कर सुलझाने का प्रयास करना चाहिए|

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