Can you give me summary of Dharm ki aad
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hey dear
here is ur answer
प्रस्तुत पाठ ‘ धर्म की आड़ ’ में विद्यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की फ़िराक में रहते हैं। उन्होंने बताया है की कुछचालाक व्यक्ति साधारण आदमी को अपने स्वार्थ हेतु धर्म के नाम पर लड़ते रहते हैं। साधारण आदमी हमेशा ये सोचता है की धर्म के नाम पर जान तक दे देना वाजिब है।पाश्चत्य देशों में धन के द्वारा लोगों को वश में किया जाता है, मनमुताबिक काम करवाया जाता है। हमारे देश में बुद्धि पर परदा डालकर कुटिललोग ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेतेहैं और फिर धर्म, ईमान के नाम पर लोगों को आपस में भिड़ाते रहते हैं और अपना व्यापार चलते रहते हैं। इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग करना चाहिए।यदि किसी धर्म के मनाने वाले जबरदस्ती किसी केधर्म में टांग अड़ाते हैं तो यह कार्य स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए।देश की स्वाधीनता आंदोलन में जिस दिन खिलाफत, मुल्ला तथा धर्माचार्यों को स्थान दिया गया वह दिन सबसे बुरा था जिसके पाप का फल हमे आज भीभोगना पड़ रहा है। लेखक के अनुसार शंख बजाना, नाक दबाना और नमाज पढ़ना धर्म नही है। शुद्धाचरण और सदाचरण धर्म के चिन्ह हैं। आप ईश्वर को रिश्वत दे देने के बाद दिन भर बेईमानी करने के लिए स्वतंत्र नही हैं। ऐसे धर्म को कभी माफ़ नही किया जा सकता। इनसे अच्छेवे लोग हैं जो नास्तिक हैं।लेखक परिचयगणेशशंकर विद्यार्थीइनका जन्म सन 1891 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। एंट्रेंस पास करने के बाद कानपूर दफ्तर में मुलाजिम हो गए। फिर 1921 में 'प्रताप' साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया। ये आचार्य महावीर प्रसाद दिवेदी को साहित्यिक गुरु मानते थे। इनका ज्यादा समय जेल में बिता। कानपुर में 1931 में मचे सांप्रदायिक दंगों को शांत करवाने के प्रयास में इनकी मृत्यु हो गयी।कठिन शब्दों के अर्थ• उत्पात – उपद्रव• ईमान – नीयत • ज़ाहिलों – मूर्ख या गँवार • वाज़िब – उचित• बेज़ा – अनुचित • अट्टालिकाएँ – ऊँचे मकान• साम्यवाद - कार्ल-मार्क्स द्वारा प्रतिपादित राजनितिक सिद्धांत जिसका उद्देश्य विश्व में वर्गहीन समाज की स्थापना करना है।• बोलेश्विज्म - सोवियत क्रान्ति के बाद लेनिनके नेतृत्व में स्थापित व्यवस्था• धूर्त – छली • खिलाफ़़त – खलीफ़ा का पद • प्रपंच – छल • कसौटी – परख • ला-मज़हब – जिसका कोई धर्म , मज़हब न हो या नास्तिक।
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प्रस्तुत पाठ ‘ धर्म की आड़ ’ में विद्यार्थी जी ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की फ़िराक में रहते हैं। उन्होंने बताया है की कुछचालाक व्यक्ति साधारण आदमी को अपने स्वार्थ हेतु धर्म के नाम पर लड़ते रहते हैं। साधारण आदमी हमेशा ये सोचता है की धर्म के नाम पर जान तक दे देना वाजिब है।पाश्चत्य देशों में धन के द्वारा लोगों को वश में किया जाता है, मनमुताबिक काम करवाया जाता है। हमारे देश में बुद्धि पर परदा डालकर कुटिललोग ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेतेहैं और फिर धर्म, ईमान के नाम पर लोगों को आपस में भिड़ाते रहते हैं और अपना व्यापार चलते रहते हैं। इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग करना चाहिए।यदि किसी धर्म के मनाने वाले जबरदस्ती किसी केधर्म में टांग अड़ाते हैं तो यह कार्य स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए।देश की स्वाधीनता आंदोलन में जिस दिन खिलाफत, मुल्ला तथा धर्माचार्यों को स्थान दिया गया वह दिन सबसे बुरा था जिसके पाप का फल हमे आज भीभोगना पड़ रहा है। लेखक के अनुसार शंख बजाना, नाक दबाना और नमाज पढ़ना धर्म नही है। शुद्धाचरण और सदाचरण धर्म के चिन्ह हैं। आप ईश्वर को रिश्वत दे देने के बाद दिन भर बेईमानी करने के लिए स्वतंत्र नही हैं। ऐसे धर्म को कभी माफ़ नही किया जा सकता। इनसे अच्छेवे लोग हैं जो नास्तिक हैं।लेखक परिचयगणेशशंकर विद्यार्थीइनका जन्म सन 1891 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। एंट्रेंस पास करने के बाद कानपूर दफ्तर में मुलाजिम हो गए। फिर 1921 में 'प्रताप' साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया। ये आचार्य महावीर प्रसाद दिवेदी को साहित्यिक गुरु मानते थे। इनका ज्यादा समय जेल में बिता। कानपुर में 1931 में मचे सांप्रदायिक दंगों को शांत करवाने के प्रयास में इनकी मृत्यु हो गयी।कठिन शब्दों के अर्थ• उत्पात – उपद्रव• ईमान – नीयत • ज़ाहिलों – मूर्ख या गँवार • वाज़िब – उचित• बेज़ा – अनुचित • अट्टालिकाएँ – ऊँचे मकान• साम्यवाद - कार्ल-मार्क्स द्वारा प्रतिपादित राजनितिक सिद्धांत जिसका उद्देश्य विश्व में वर्गहीन समाज की स्थापना करना है।• बोलेश्विज्म - सोवियत क्रान्ति के बाद लेनिनके नेतृत्व में स्थापित व्यवस्था• धूर्त – छली • खिलाफ़़त – खलीफ़ा का पद • प्रपंच – छल • कसौटी – परख • ला-मज़हब – जिसका कोई धर्म , मज़हब न हो या नास्तिक।
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