can you plzz give me answer of moral science PLZZ don't say hyy and hello and not say faltu batein say answer only.
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1.वेद ज्ञान का भण्डार है , वेद समस्त ज्ञान का स्रोत है । आर्य समाज के नियम में महर्षि दयानन्द जी ने वेद की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि, वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद को सब सत्य विद्याओं का पुस्तक बता कर ऋषि ने अपनी यह मान्यता अत्यन्त स्पष्ट शब्दों में व्यक्त कर दी है, कि वेद में विविध प्रकार के ज्ञान-विज्ञानों का उपदेश किया गया है । इसी भाव को ऋषि दयानन्द जी ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका के ‘वेद विषयविचार’ प्रकरण में इन शब्दों में व्यक्त किया है । “विज्ञान-काण्ड, कर्मकाण्ड, उपासना-काण्ड, और ज्ञान-काण्ड के भेद से वेदों के चार विषय हैं । अतः ज्ञान-काण्ड ऋग्वेद का विषय है , कर्मकाण्ड यजुर्वेद का विषय है, उपासना-काण्ड साम वेद का तथा विज्ञान काण्ड अथर्व वेद का विषय है ।
2.सत्य के ग्रहण करने और असत्य के छोडने में सर्वदा उद्यत रहना चाहिये।
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sorry dear can't understand hindi god bless you