can you send me a poem on sannate ki duniya
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सन्नाटे में बिखर गया है घर का कोना कोना अम्मा
खेत और खलिहान बिक गये
इज्जत चाट रही माटी
अलग अलग चूल्हों में मिलकर
भून रहे सब परिपाटी
नज़र लगी जैसे इस घर को या कुछ जादू टोना अम्मा
सन्नाटे में बिखर गया है घर का कोना कोना अम्मा
बाँट लिए भैया भाभी ने
बाग बगीचे गलियारे
अन ब्याही बहना है अब तक
बैठी लज्जा के मारे
दुख की गठरी इन कंधों पर जाने कब तक ढोना अम्मा
सन्नाटे में बिखर गया है घर का कोना कोना अम्मा
छोटे की लग गयी नौकरी
दूर शहर में रहता है
पश्चिम वाली हवा चली जो
संग उसी के बहता है
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