can you write a Hindi story for me and you get so many points
Answers
एक बार एक किसान था और उसके तीन बेटे थे वह तीनों आपस में लड़ते रहते थे वह किसी की बात भी नहीं मानते थे और ना ही कुछ काम करते थे एक बार वह किसान बीमार हो गया और उसने उनके तीनों बेटों को बुलाया और कहा की वहां लकड़ियों का एक बंडल है उसमें से एक लकड़ी निकाल कर लाओ और इसे तोड़ कर दिखाओ तो उन्होंने उस लकड़ी को तोड़ दिया तब किसान ने कहा कि तुम उस बंडल उठा कर लाओ और अभी से तोड़कर दिखाओ तो उनमें से कोई भी उसको नहीं तोड़ पाया तब किसान ने कहा कि एकता में बल है तो तुम भी तीनों साथ रहने लग जाओ तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा
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श्रावण कुमार का जीवन परीचय
Explanation:
श्रवण कुमार एक पौराणिक चरित्र है। ऐसा माना जाता है कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे। श्रवण कुमार अत्यंत श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे। एक बार उनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। श्रवण कुमार ने कांवर बनाई और उसमें दोनों को बैठाकर कंधे पर उठाए हुए यात्रा करने लगे। एक दिन वे अयोध्या के समीप वन में पहुंचे। वहां रात्रि के समय माता-पिता को प्यास लगी। श्रवण कुमार पानी के लिए अपना तुंबा लेकर सरयू तट पर गए। उसी समय महाराज दशरथ भी वहां आखेट के लिए आए हुए थे। श्रवण कुमार ने जब पानी में अपना तुंबा डुबोया, दशरथ ने समझा कोई हिरन जल पी रहा है। उन्होंने शब्दभेदी बाण छोड़ दिया। बाण श्रवण कुमार को लगा। दशरथ को दुखी देख मरते हुए श्रवण कुमार ने कहा- मुझे अपनी मृत्यु का दु:ख नहीं, किंतु माता-पिता के लिए बहुत दु:ख है। आप उन्हें जाकर मेरी मृत्यु का समाचार सुना दें और जल पिलाकर उनकी प्यास शांत करें। दशरथ ने देखा कि श्रवण दिव्य रूप धारण कर विमान में बैठ स्वर्ग को जा रहे हैं। पुत्र का अग्नि संस्कार कर माता-पिता ने भी उसी चिता में अग्नि समाधि ली और उत्तम लोक को प्राप्त हुए। कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढ़े माँ-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।