चन्द्रगुप्त द्वितीय की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
Answers
चंद्रगुप्त द्वितीय (c। 375 CE - 413/14 CE) अपने पिता समुद्रगुप्त (335/350 - 370/380 CE) के बाद अगला महान गुप्त सम्राट था।
Explanation:
चन्द्रगुप्त द्वितीय की उपलब्धियों
चंद्रगुप्त- II, विक्रमादित्य 375 में सिंहासन पर चढ़ा। समुद्रगुप्त ने चंद्रगुप्त- II को अपने सत-पुत्र या सबसे योग्य पुत्र के रूप में मानते हुए अपने कई पुत्रों में से सिंहासन का उत्तराधिकारी चुना। चंद्रगुप्त- II महादेवी के रूप में वर्णित रानी दत्ता या दत्तादेवी का पुत्र था।
स्कंदगुप्त के बिहार और भितरी पत्थर के स्तंभ शिलालेखों में चंद्रगुप्त-द्वितीय का वर्णन 'टाटपारीग्रहीता' के रूप में किया गया है, जिसका अर्थ है कि वह अपने पिता द्वारा अपने अन्य भाइयों में से चुना गया था।
चंद्रगुप्त- II के कई नामों को खोजा गया है, सांची शिलालेख में उन्हें 'देवराज' के रूप में उल्लेख किया गया है और 'वाकाटक शिलालेख' में 'देवगुप्त' के नाम के साथ संकेत करने का उल्लेख किया गया है। विद्वानों का मानना है कि उनका असली नाम चंद्रगुप्त -2 था और उन्होंने अपना लिया था 'देवराज', देवगुप्त और देवश्री आदि के शीर्षक।