चन्द्रमा को किसने कलंक कर अपने सिर पर धारण किय
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गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी की रात को चंद्रमा देखने की मनाही होती है। अगर कोई व्यक्ति इस रात चांद के दर्शन कर लेता है तो उस पर कलंक लगता है। कथाओं के अनुसार इस दिन गणेश भगवान ने चांद को श्राप दिया था कि जो भी इस दिन चांद को देखेगा उसे कलंक लगेगा।
चंद्रमा की तपस्या से भगवान शिव प्रकट हुए और चंद्रमा को अपने सिर पर बैठाकर मृत्यु से बचा लिया। चंद्रमा की प्रार्थना पर यहीं पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में पहली बार प्रकट हुए और सोमनाथ कहलाए।
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