चपटे कर्मियों की उत्तर जी संरचनाएं
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संघ-प्लेटीहैल्मिन्थीज/चपटे कृमि
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परिचय : इस संघ के जीव पृष्ठ अधर चपटे होते हैं। इनकी ऊपरी (पृष्ठीय) व निचली (अधर) सतह चपटी होती है। अत: इनको चपटे कृमि कहा जाता है।
चपटे कृमि के उदाहरण (a) फीता कृमि (b) यकृत कृमि
चपटे कृमि की संरचना -
- देह की सममिति: इनमे द्विपाश्र्वय सममिति पायी जाती है। क्योंकि इनके शरीर को शरीर के केन्द्रीय अक्ष से ऊर्ध्व तल से गुजारकर समान रूप से बायें व दायें दो अर्धभागों में बांटा जा सकता है।
(कृपया चित्र देखें)
- संगठन का स्तर : ये प्रथम जीव हैं जिनमें अंग स्तर का संगठन पाया जाता कोशिकाऐं समूह बनाकर ऊत्तक व ऊतक संगठित होकर अंग बनाते हैं। इनमें कुछ अंग तंत्र भी पाये जाते हैं।
- जनन स्तर: प्लेटीहेल्मिन्थीज त्रिस्तरीय जीव है। इनका शरीर तीन भूणीय स्तर एक्टोडर्म, मीसोडर्म व एण्डोडर्म से व्युत्पन्न होता है।
- देहगुहा: हालांकि ये त्रिस्तरीय जीव हैं। इनमें मीसोडर्म पायी जाती है लेकिन देहगुहा अनुपस्थित होती है। मीसोडर्म देहगुहा को रेखित करती है। अत: चपटे कृमि अगुडीय जीव है।
- शरीर गठन : चपटे कृमियों का शरीर पृष्ठ अधर में चपटा होता है। (7) बाह्य ककाल व अन्तःककाल का पूर्णतः अभाव होता है। हालांकि हुक्स, कंटक, चूषक (परजीवी अवस्था में), दंत या कांटे उपस्थित हो सकते है जो एक आसंजक अग की तरह होते हैं।
- देहगुहा: आहारनाल व अन्य अंग के बीच का स्थान विशिष्ट संयोजी ऊतक से भरा होता है इसे पैरेन्काइमा कहते हैं |
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