चरित्र ओऔचरित्र और चरित्र बल में क्या तात्पर्य है
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चरित्र एक ऐसी मशाल के समान होता है जिसका प्रकाश दिव्य और पावन होता है। चरित्र बल के आलोक से अनेक लोगों को प्रेरणा मिलती है, एक नई राह मिलती है। चरित्र एक ऐसा आकर्षण केंद्र होता है, जिसकी ओर सभी अनायास खिंचे चले आते हैं। चरित्र से व्यक्तित्व आकार पाता है, पहचान मिलती है। वस्तुत: आमतौर पर अच्छी आदतों व गुणों के समूह को चरित्र में शामिल किया जाता है। चरित्र का क्षेत्र बड़ा ही व्यापक व विस्तृत है। इसे हमने संकीर्णता की सीमाओं में सीमित कर दिया है। चरित्र के संबंध में हम अनेक भ्रांत धारणाओं से ग्रस्त हैं, जबकि यह हमारे समूचे व्यक्तित्व को गढ़ता है और विकसित करता है। यह अपने गुणों के बीजों का हमारे अंतस् में रोपण करता है और कालांतर में इन गुणों के विकास से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है।
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