Hindi, asked by buster18, 1 year ago

चरित्र धन पर निबंध लिखो

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Answered by rishavthakur27
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चरित्र मनुष्य का अनमोल धन है| हर उपाय से इसकी रक्षा करनी चाहिए| किसी की धन-दौलत, जमीन-जायदाद, व्यवसाय, व्यापार चला जाए, तो वह उघोग करने से पुन: प्राप्त हो सकता है, किन्तु जिसने प्रमाद अथवा असावधानी वश एक बार भी अपना चरित्र खो दिया, तो फिर वह जीवन भर के उघोग से भी अपने उस धन को वापस नहीं पा सकता| आगे चलकर वह अपनी भूल सुधार सकता है, अपना सुधार कर सकता है, अपनी सच्चरित्रता के लाख प्रमाण दे सकता है, किन्तु फिर भी वह एक बार का लगा हुआ कलंक अपने जीवन पर से नहीं धो सकता| उसके लाख संभल जाने, सुधर जाने पर भी समाज उसके उस पूर्व पतन को भूल नहीं सकता और इच्छा होते हुए भी उस पर विश्वास नहीं कर सकता| एक बार का चारित्रिक पतन मनुष्य को जीवन भर के लिए कलंकित कर देता है| इसलिए तो विद्वानों का कहना है कि मनुष्य का यदि धन चला गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य चला गया तो कुछ चला गया किन्तु चरित्र चला गया तो सब कुछ चला गया| इस लोकोक्ति का अर्थ यही है कि धन-दौलत तथा स्वास्थ्य आदि को फिर पाया जा सकता है, किन्तु गया हुआ चरित्र किसी भी मूल्य पर दुबारा नहिंपाया जा सकता| इसलिए मनुष्य का प्रमुख कर्तव्य है कि संसार में मनुष्यता पूर्ण जीवन जीने के लिए हर मूल्य पर, हर प्रकार से, हर समय, अपनी चरित्र रक्षा के लिए सावधान रहे|
Answered by soniaagarwal611
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चरित्र का निखार। मौजूदा दौर में व्यक्ति जल्द से जल्द सुख- सुविधाओं की प्राप्ति की लालसा के कारण अनेक समस्याआें और परेशानियों से जूझ रहा है। ये समस्याएं लोगों के चरित्र को प्रभावित करती हैं। ऐसे में अधिकतर व्यक्ति समस्याओं और परेशानियों के दबाव में अपने चरित्र को दांव पर लगा  देते हैं और अपने कदमों को गलत मार्ग पर मोड़ लेते हैं। अनुचित व गलत मार्ग सहज-सीधा नजर आता है, जो सभी  को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह मार्ग ऐसा होता है जिसमें व्यक्ति को अधिक मेहनत व प्रयास करने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन वह व्यक्ति के सबसे कीमती गुणों व चरित्र पर  प्रश्नचिन्ह लगा देता है।

 जिंदगी में समस्याओं  और परेशानियों का भी एक अनूठा  महत्व है। यदि व्यक्ति साहस, धैर्य और  ईमानदारी से परेशानियों का मुकाबला करे  तो वह न सिर्फ अपनी परेशानियों को दूर भगाता  है, बल्कि सफलता को भी अपने जीवन का एक अंग  बना लेता है। ऐसे में उसका चरित्र और अधिक निखर  उठता है।

जिस प्रकार सोना आग  में तप कर और अधिक निखरता है,  उसी तरह चरित्र भी कठिन परिस्थितियों  और संघर्ष का सामना करते हुए अधिक निखर  आता है। सामान्य परिस्थितियों में तो सभी अपने चरित्र  को संभाल कर रखने का दावा करते हैं, लेकिन जब हालात  विपरीत हों, उस समय अपनी सूझबूझ, दया और शालीनता को  बरकरार रखना अधिक महत्वपूर्ण होता है।

 एक रूसी कहावत है कि हथौड़ा  कांच को तोड़ देता है, पर लोहे का कुछ नहीं  बिगाड़ता। इसका तात्पर्य है कि सुदृढ़ और सद्कर्मो  पर चलने वाला व्यक्ति अपने चरित्र के साथ कभी समझौता नहीं करता। कहते हैं कि योग्यता की वजह से सफलता मिलती है और वह चरित्र ही है, जो सफलता को संभालता है।  जो सफल व्यक्ति अपने चरित्र को नहीं निखारते सफलता भी उनके  पास ज्यादा देर तक नहीं टिकती। ऐसे लोग शीघ्र ही गुमनामियों के अंधेरों में गुम हो जाते हैं।

 आध्यात्मिक रुझान से  न सिर्फ व्यक्ति का चरित्र सुदृढ़ होता  है, बल्कि उसके अंदर धैर्य, ईमानदारी,  परोपकार आदि सद्गुणों का भी विकास होता  है। वर्तमान समय में चरित्र का मजबूत होना  अत्यंत आवश्यक है। चरित्र को बचपन से ही  मजबूत बनाया जाए तो व्यक्ति संस्कारों और  अध्यात्म की छांव में बड़ा होकर समाज व देश  का नाम रोशन करता है। यदि चरित्र सही नहीं है,  तो धन-दौलत भी व्यर्थ है।


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