चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्नहृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्नहमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देववचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा में रहती थी टेव|वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञानवही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य संतानजिएँ तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे हर्षनिछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यार
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Hamare Bharat Mandal Garv Hai banaa Mare sankhya Aditya Mare Dev hai
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