चरखा और चूल्हा हमारी सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक हैं। 'घर हमारी संस्कृति का प्रतीक' पाठ के आधार पर उक्त कथन की सार्थकता अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए। (उत्तर सीमा लगभग 80 शब्द )
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संस्कृति जीवन की विधि है। संस्कृति हमारे जीने और सोचने की विधि में हमारी अंत:स्थ प्रकृति की अभिव्यक्त है। सभ्यता और संस्कृति को समानार्थी समझ लिया जाता है, जबकि ये दोनों अवधारणाएं अलग-अलग हैं।
संसार के सभी विद्वानों ने 'संस्कृति' शब्द की विभिन्न परिभाषाएं, व्याख्याएं की हैं। कोई सर्वमान्य परिभाषा नहीं मिल पाती फिर भी इतना तो स्पष्ट ही है कि 'संस्कृति' उन भूषणरूपी सम्यक् चेष्टाओं का नाम है जिनके द्वारा मानव समूह अपने आंतरिक और बाह्य जीवन को, अपनी शारीरिक मानसिक शक्तियों को संस्कारवान, विकसित और दृढ़ बनाता है। संक्षेप में संस्कृति मानव समुदाय के जीवन-यापन की वह परंपरागत किंतु निरंतर विकासोन्मुखी शैली है जिसका प्रशिक्षण पाकर मनुष्य संस्कारित, सुघड़, प्रौढ़ और विकसित बनता है।
'संस्कृति' शब्द संस्कृत भाषा की धातु 'कृ' (करना) से बना है। इस धातु से 3 शब्द बनते हैं- 'प्रकृति' (मूल स्थिति), 'संस्कृति' (परिष्कृत स्थिति) और 'विकृति' (अवनति स्थिति)। 'संस्कृति' का शब्दार्थ है- उत्तम या सुधरी हुई स्थिति यानी कि किसी वस्तु को यहां तक संस्कारित और परिष्कृत करना कि इसका अंतिम उत्पाद हमारी प्रशंसा और सम्मान प्राप्त कर