चश्मेवाले तथा नेताजी के सम्बन्ध
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हालदार साहब जब भी कस्बे में से गुजरते थे तो वे चौराहे पर रुक कर नेता जी की मूर्ति को देखते रहते थे। उन्हें हर बार नेता जी का चश्मा अलग दिखता था। पूछने पर पान वाले ने हालदार साहब को बताया कि मूर्ति का चश्मा कैप्टन बदलता है। कैप्टन को बिना चश्मे वाली नेताजी की मूर्ति आहत करती थी इसलिए उसने उस मूर्ति पर चश्मा लगा दिया।
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