चतुर चितेरे कूर पंक्ति कवि द्वारा लिखित है
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माना जाता है। बिहारी सतसई की पचासों टीकाएं अब तक लिखन बैठि जाकी सबी गहि-गहि गरब गरूर। हो चुकी हैं। मुक्तक शैली में रचित इस कृति में वे सभी गुण भए न केते जगत के चतुर चितेरे कूर।।
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चतुर चितेरे कूर पंक्ति कवि बिहारीलाल द्वारा लिखित है l
- बिहारी लाल भारत के एक कवि थे जो 17वीं शताब्दी में रहते थे। वह भक्ति आंदोलन के सदस्य थे और उन्हें उत्तरी भारत की भक्ति परंपरा में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक माना जाता है।
- बिहारी लाल अपनी भक्ति कविता के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं और उन्हें उनकी कविताओं के लिए याद किया जाता है जो भगवान कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति और प्रेम को व्यक्त करते हैं।
- उन्होंने ब्रज भाषा में लिखा, जो हिंदी की एक बोली है, और उनकी कविताएँ आज भी भारत में व्यापक रूप से पढ़ी जाती हैं।
- बिहारी लाल 17वीं शताब्दी के भारतीय कवि थे और उन्हें "सत्सई" लिखने के लिए जाना जाता है, जो प्रेम, भक्ति और नैतिकता के विषयों पर सात सौ हिंदी दोहों का संग्रह है।
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