[ (CBSE 2 5. निम्नलिखित समस्तपदों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए- (i) नीतिनिपुण (ii) गिरिधर (iii) पंच-परमेश्वर
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(CBSE 2 5. निम्नलिखित समस्तपदों का विग्रह कर समास का नाम लिखिए- (i) नीतिनिपुण (ii) गिरिधर (iii) पंच-परमेश्वर
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- चौपाई-चार पायों का समाहार-द्विगु समास
- चौपाई-चार पायों का समाहार-द्विगु समासदेहलता देह रूपी लता कर्मधारय समास
- चौपाई-चार पायों का समाहार-द्विगु समासदेहलता देह रूपी लता कर्मधारय समासदोपहर दो पहरों का समूह द्विगु समास
- चौपाई-चार पायों का समाहार-द्विगु समासदेहलता देह रूपी लता कर्मधारय समासदोपहर दो पहरों का समूह द्विगु समासमार्गव्यय मार्ग के लिए व्यय सम्प्रदान तत्पुरुष प्रेमातुर -प्रेम के लिए आतुर-सम्प्रदान तत्पुरुष शोकमग्न-शोक में मग्न अधिकरण तत्पुरुष शताब्दी-सौ वर्षों का समूह-द्विगु समास नीलकमल नीला है जो कमल कर्मधारय समास
- शोकमग्न-शोक में मग्न अधिकरण तत्पुरुष शताब्दी-सौ वर्षों का समूह-द्विगु समास नीलकमल नीला है जो कमल कर्मधारय समासदहीवडा-दही में डूबा बडा-कर्मधारय समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहि
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समासपथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुष
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समासपथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुषनिडर बिना डर का अव्ययीभाव समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समासपथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुषनिडर बिना डर का अव्ययीभाव समासयथाशक्ति-शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समासपथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुषनिडर बिना डर का अव्ययीभाव समासयथाशक्ति-शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समासविषधर - विष को धारण करने वाला अर्थात सांप-बहुव्रीहि समास
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समासपथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुषनिडर बिना डर का अव्ययीभाव समासयथाशक्ति-शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समासविषधर - विष को धारण करने वाला अर्थात सांप-बहुव्रीहि समासगिरहकट-गिरह को काटने वाला कर्म तत्पुरुष
- मृत्युंजय-मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले अर्थात् शिव-बहुव्रीहिदाल चावल दाल और चावल-द्वंद्व समासछोटा-बड़ा-छोटाऔर बड़ा-द्वंद्व समासपंचवटी-पांच वटों का समाहार-द्विगु समासपथभ्रष्ट-पथ से भ्रष्ट-अपादान तत्पुरुषनिडर बिना डर का अव्ययीभाव समासयथाशक्ति-शक्ति के अनुसार अव्ययीभाव समासविषधर - विष को धारण करने वाला अर्थात सांप-बहुव्रीहि समासगिरहकट-गिरह को काटने वाला कर्म तत्पुरुषभरपेट-पेट भर के अव्ययीभाव समास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमासदशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमासदशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समासराम-लक्ष्मण राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमासदशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समासराम-लक्ष्मण राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समासलंबोदर-लंबा है जिसका उदर अर्थात गणेश-बहुव्रीहि समास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमासदशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समासराम-लक्ष्मण राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समासलंबोदर-लंबा है जिसका उदर अर्थात गणेश-बहुव्रीहि समासकमलनयन- कमल के समान नयन-कर्मधारय समास
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमासदशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समासराम-लक्ष्मण राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समासलंबोदर-लंबा है जिसका उदर अर्थात गणेश-बहुव्रीहि समासकमलनयन- कमल के समान नयन-कर्मधारय समासआनंदमग्न-आनंद में मग्न अधिकरण तत्पुरुष
- कालीमिर्च-काली है जो मिर्च-कर्मधारय समासनवरत्न-नौ रत्नों का समाहार-द्विगुसमासदशानन-दश है आनन जिसके अर्थात रावण-बहुव्रीहि समासराम-लक्ष्मण राम और लक्ष्मण-द्वंद्व समासलंबोदर-लंबा है जिसका उदर अर्थात गणेश-बहुव्रीहि समासकमलनयन- कमल के समान नयन-कर्मधारय समासआनंदमग्न-आनंद में मग्न अधिकरण तत्पुरुषयथावसर अवसर के अनुसार-अव्ययीभाव समास
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