CBSE Expression Series essay on "Dr. A.P.J. Abdul Kalam’s school days and how it influenced me" in Hindi
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डाक्टर अब्दुल कलाम के बचपन के (विद्यार्थी जीवन) – मेरे जीवन पर उसका असर
डाक्टर अब्दुल कलाम हमारे देश का 11वां अध्यक्ष थे। वे 15 अक्तूबर, 1931 को रामेश्वरम में जन्में । उनका परिवार गरीब था । उनका पिता एक मस्जिद का इमाम और एक छोटे नाव का स्वामी था । कलाम बचपन में पढ़ाई के साथ साथ, कमाई के लिए अखबार बेचते थे और घर घर में बाँटते थे। वे एक अच्छे मुसलमान थे जो पाँच बार दिन में प्रार्थना करते थे।
उस गाँव के मंदिर का पुजारी, चर्च के फादर, और उनके पिता (इमाम थे) उस समय के समस्याओं के बारे में बात करते थे। कलाम ने सेक्युलरिसम, सर्व मानव समानता और मानवत्व आदि अच्छे और सच्चे गुणों को सीखा। कलाम एक मेहनती, कम बुद्धिमान लेकिन निष्कपट बच्चा था। पढ़ाई में कम अंक मिलते थे। लेकिन पढ़ाई करने का शौक और संकल्प अचंचल थे। वे काफी समय गणित पर बिताते थे। कलाम ने रामेस्वरम, रमानंतपूर, तिरुचुरापल्ली और फिर चेन्नई में पढ़ाई की। पढ़ाई के दिन मुश्किल से गुजरे, पढ़ाई में भी और जीवन में भी मुश्किलें सामना की।
1954 में उनको चेन्नई विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा (ग्राड्यूएशन) मिली भौतिक शस्त्र में । फिर उनहों ने चेन्नई तकनीकी संस्थान में एरोस्पेस यंत्र शास्त्र (इंजनीरींग) किया । उधर वे अपने परियोजना पूरा नहीं कर पाये। विश्वविद्यालय के प्रधान ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर वे परियोजना (प्रोजेक्ट) कुछ दिन में नहीं पूरा करेंगे तो उन्हें निकाला जाएगा। उनका छात्रवृत्ति (वजीफा) काट दिया जाएगा। लेकिन उनका भाग्य था कि तीन दिन में अपना परियोजना पूरा कर पाये।
उनके जीवन का लक्ष्य था भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान का चालक बनें। वे उस संबंधी परीक्षाओं में उत्तेर्ण नहीं हो पाये । एक नंबर से वह मौका छूट गया । कलाम ने फिर पी. एच. डी. करने गए भौतिक शस्त्र में। फिर शास्त्रीय वैज्ञानिक के रूप में नौकरी शुरू की।
उनके जीवन से जो पाठ सीख सकते हैं वो तो इतना जानने के बाद तो स्पष्ट है। एक आदमी भला कम अंक पाता हो पढ़ाई में और बचपन में, लेकिन बाद में मेहनत से, दृढ़ संकल्प से बड़ा बन सकता है। बड़े सपने देख सकता है। मेहनत का फल अच्छा होता है और मिलता भी है। विनम्रता विद्यार्थियों के लिए एक अच्छा गुण है। बड़ों की सेवा करना , अपने परिवार के लिए कष्ट उठाना बुरी बात नहीं है। अच्छे अंक नहीं मिले तो भी निराश नहीं होना चाहिए। एक आदमी कभी एक मौका खोसकता है, लेकिन बाद में फिर और मौके मिलेंगे। अच्छे मन वाले , मृदु भाषण करनेवाले को लोग पसंद करते हैं। हमें मालूम है कि कलाम जैसे बहुत सारे नौजवान और बच्चे देश में हैं, जो गरीब हैं। उन सबको कलाम का और उनके विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण संदेश यही मिलता है।
मैंने भी कुछ मुश्किलें वैसे ही पायी। मैंने भी सीखा कि हर दिन आगे कैसे चलना है, मुश्किलें पारकर, आशावाद के सहारे मेहनत करते जाएँ। मैंने सीखा है कि पढ़ाई गरीब लोगोंकी तकदीर बादल सकता है। कड़ी मेहनत से बहुत ऊपर तक पहुँच सकता है हर बच्चा।
डाक्टर अब्दुल कलाम हमारे देश का 11वां अध्यक्ष थे। वे 15 अक्तूबर, 1931 को रामेश्वरम में जन्में । उनका परिवार गरीब था । उनका पिता एक मस्जिद का इमाम और एक छोटे नाव का स्वामी था । कलाम बचपन में पढ़ाई के साथ साथ, कमाई के लिए अखबार बेचते थे और घर घर में बाँटते थे। वे एक अच्छे मुसलमान थे जो पाँच बार दिन में प्रार्थना करते थे।
उस गाँव के मंदिर का पुजारी, चर्च के फादर, और उनके पिता (इमाम थे) उस समय के समस्याओं के बारे में बात करते थे। कलाम ने सेक्युलरिसम, सर्व मानव समानता और मानवत्व आदि अच्छे और सच्चे गुणों को सीखा। कलाम एक मेहनती, कम बुद्धिमान लेकिन निष्कपट बच्चा था। पढ़ाई में कम अंक मिलते थे। लेकिन पढ़ाई करने का शौक और संकल्प अचंचल थे। वे काफी समय गणित पर बिताते थे। कलाम ने रामेस्वरम, रमानंतपूर, तिरुचुरापल्ली और फिर चेन्नई में पढ़ाई की। पढ़ाई के दिन मुश्किल से गुजरे, पढ़ाई में भी और जीवन में भी मुश्किलें सामना की।
1954 में उनको चेन्नई विश्वविद्यालय से स्नातक शिक्षा (ग्राड्यूएशन) मिली भौतिक शस्त्र में । फिर उनहों ने चेन्नई तकनीकी संस्थान में एरोस्पेस यंत्र शास्त्र (इंजनीरींग) किया । उधर वे अपने परियोजना पूरा नहीं कर पाये। विश्वविद्यालय के प्रधान ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर वे परियोजना (प्रोजेक्ट) कुछ दिन में नहीं पूरा करेंगे तो उन्हें निकाला जाएगा। उनका छात्रवृत्ति (वजीफा) काट दिया जाएगा। लेकिन उनका भाग्य था कि तीन दिन में अपना परियोजना पूरा कर पाये।
उनके जीवन का लक्ष्य था भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान का चालक बनें। वे उस संबंधी परीक्षाओं में उत्तेर्ण नहीं हो पाये । एक नंबर से वह मौका छूट गया । कलाम ने फिर पी. एच. डी. करने गए भौतिक शस्त्र में। फिर शास्त्रीय वैज्ञानिक के रूप में नौकरी शुरू की।
उनके जीवन से जो पाठ सीख सकते हैं वो तो इतना जानने के बाद तो स्पष्ट है। एक आदमी भला कम अंक पाता हो पढ़ाई में और बचपन में, लेकिन बाद में मेहनत से, दृढ़ संकल्प से बड़ा बन सकता है। बड़े सपने देख सकता है। मेहनत का फल अच्छा होता है और मिलता भी है। विनम्रता विद्यार्थियों के लिए एक अच्छा गुण है। बड़ों की सेवा करना , अपने परिवार के लिए कष्ट उठाना बुरी बात नहीं है। अच्छे अंक नहीं मिले तो भी निराश नहीं होना चाहिए। एक आदमी कभी एक मौका खोसकता है, लेकिन बाद में फिर और मौके मिलेंगे। अच्छे मन वाले , मृदु भाषण करनेवाले को लोग पसंद करते हैं। हमें मालूम है कि कलाम जैसे बहुत सारे नौजवान और बच्चे देश में हैं, जो गरीब हैं। उन सबको कलाम का और उनके विद्यार्थी जीवन का महत्वपूर्ण संदेश यही मिलता है।
मैंने भी कुछ मुश्किलें वैसे ही पायी। मैंने भी सीखा कि हर दिन आगे कैसे चलना है, मुश्किलें पारकर, आशावाद के सहारे मेहनत करते जाएँ। मैंने सीखा है कि पढ़ाई गरीब लोगोंकी तकदीर बादल सकता है। कड़ी मेहनत से बहुत ऊपर तक पहुँच सकता है हर बच्चा।
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