cbse expression What do you think about Jaiprakash Narayan's quote “True politics is about promotion of human happiness.” in Hindi
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“राजनीति का उद्देश्य
है लोगों की खुशी में उद्धार (प्रोन्नति)”
यह लोक नायक जया प्रकाश नारायण का कहावत है। वे कमुणिसम,
सोशलिसम, संप्रदायक हिन्दू मत के विशेष नैतिक भावनायें और मूल्य , राजपूत
राजाओं के महान बहदुरी, भगवद गीता, गांधीजी, मार्क्स, रॉय , मौलाना आज़ाद
इत्यादि लोगों से बहुत प्रभावित हुए । वे देश प्रेम, मेहनत के काम और लोगों की खुशी के
भावनाओं में यकीन करते थे। उन्हों ने सामाजिक सेवा पर अपना समय बिताया। लोगों
के ऊपर हुई शैतानी के खिलाफ आवाज उठाते थे। वे निस्वार्थी थे। जनता ने उनको इसी लिए अपना नायक बनाया और लोक नायक
का शीर्षक भी दिया।
उन्हों ने अमेरिका में राजनीति, सोशियलजी (समाज विज्ञान), और आर्थिक शास्त्र पढ़ा। भारत के लिए कैसा समाज चाहिए उन्हें अच्छी तरह पता था। यह कहावत उन्हों ने तब कहा जब उन्हों ने देखा कि भारत देश में लोकतन्त्र ठीक नहीं चल रहा था। तब भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा हो गया था। लोगों के लिए काम नहीं था। और गरीबी बढ़ गई थी। राजनैतिक स्थिति अच्छा नहीं था राज्यों में। खुला खुला अन्याय हो रहे थे लोगों के खिलाफ। लोग खुश नहीं थे । अशांति फैला हुआ था। पहले हम राजनीति और (लोगों की) खुशी शब्दों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
राजनीति का मतलब है लोगों को और उनके जीवन को प्रभावित करने का शास्त्र और यडार्थ में प्रयोग । तो इसमें अधिकार का गद्दी (सिंघासन) पाना और उसके बाद अधिकार का इस्तेमाल करते हुए लोगों की यानि समाज पर शासन करना। अच्छा राजनीति का मतलब है लोगों के ऊपर अच्छा नियंत्रण और अच्छा प्रभाव। राजनीति द्वारा लोगों के लिए कलयांकारी प्रकार्य और पब्लिक नीति (पोलसी) समाज में रहते लोगों की आवस्यकताओं पर उनकी खुशी को बढ़ावा देनेवाले होने चाहिए ।
लोगों को खुशी मिलता है जब स्वास्थ्य, मत, शादी, पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन, सामाजिक संबंध, नौकरी में तृप्ति और जीने का स्तर सब अच्छे हों । इन सब के ऊपर ही समाज और देश के सब लोगों के सामूहिक खुशी निर्भर होता हैं। अगर लोग खुश नहीं हैं तो राजनीति पूरा और सारा बेकार है बल्कि हानिकारक भी है। जो स्वस्थ है, किसी एक धर्म का अनुकरण करते हैं, वे खुश रहते हैं । जो बोलने का स्वतंत्र होते हैं वो भी खुश होते हैं। जो गुलामी की अनुभव करते हैं, वे खुश नहीं होते। जो आशावाद होते हैं, वे खुश होते। जिनको खुद को आदर करते हैं वे भी खुश होते।
देश की आर्थिक स्थिति में उन्नति प्रजा की खुशी लाती है। और आधुनिकता भी लोगों के मन में आनंद लाती है। सामाजिक हक, राजनैतिक स्थिति में स्थिरता, सामाजिक असमानता , आर्थिक असमानता , सामाजिक अपराध संख्या में घाट , औरतों के ऊपर अपराध में घाट, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी सरकार की सेवा की उपलब्धी, बेरोजगारी में घाट यह सब लोगों में खुशी के कारण हैं।
गणतन्त्र या कोई भी राजनैतिक तन्त्र /पद्धति जो हमारे देश में लागू है, वह जनता के इन सब गुणकों का प्रबंध करना है। राजनीति ऐसा नहीं होना चाहिए कि जिसमें लोगों की जरूरत की लापरवाही हो और सिर्फ पालन करने वालों की यानी राजनैतिक नायकों की परवाह हो। राजनीति लोगों की खुशी के लिए , लेकिन सरकारी व्यवस्था / यंत्र की खुशी के लिए नहीं । तो हम समझते हैं अब कि सच्ची राजनीति होती है जनता की खुशी में उन्नति लानेवाली। जब यह नहीं होता है, तो लोग और सरकार के बीच में हर दिन संघर्ष चलता रहता है। हरताल और सत्याग्रह होते हैं।
उन्हों ने अमेरिका में राजनीति, सोशियलजी (समाज विज्ञान), और आर्थिक शास्त्र पढ़ा। भारत के लिए कैसा समाज चाहिए उन्हें अच्छी तरह पता था। यह कहावत उन्हों ने तब कहा जब उन्हों ने देखा कि भारत देश में लोकतन्त्र ठीक नहीं चल रहा था। तब भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा हो गया था। लोगों के लिए काम नहीं था। और गरीबी बढ़ गई थी। राजनैतिक स्थिति अच्छा नहीं था राज्यों में। खुला खुला अन्याय हो रहे थे लोगों के खिलाफ। लोग खुश नहीं थे । अशांति फैला हुआ था। पहले हम राजनीति और (लोगों की) खुशी शब्दों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
राजनीति का मतलब है लोगों को और उनके जीवन को प्रभावित करने का शास्त्र और यडार्थ में प्रयोग । तो इसमें अधिकार का गद्दी (सिंघासन) पाना और उसके बाद अधिकार का इस्तेमाल करते हुए लोगों की यानि समाज पर शासन करना। अच्छा राजनीति का मतलब है लोगों के ऊपर अच्छा नियंत्रण और अच्छा प्रभाव। राजनीति द्वारा लोगों के लिए कलयांकारी प्रकार्य और पब्लिक नीति (पोलसी) समाज में रहते लोगों की आवस्यकताओं पर उनकी खुशी को बढ़ावा देनेवाले होने चाहिए ।
लोगों को खुशी मिलता है जब स्वास्थ्य, मत, शादी, पारिवारिक जीवन, सामाजिक जीवन, सामाजिक संबंध, नौकरी में तृप्ति और जीने का स्तर सब अच्छे हों । इन सब के ऊपर ही समाज और देश के सब लोगों के सामूहिक खुशी निर्भर होता हैं। अगर लोग खुश नहीं हैं तो राजनीति पूरा और सारा बेकार है बल्कि हानिकारक भी है। जो स्वस्थ है, किसी एक धर्म का अनुकरण करते हैं, वे खुश रहते हैं । जो बोलने का स्वतंत्र होते हैं वो भी खुश होते हैं। जो गुलामी की अनुभव करते हैं, वे खुश नहीं होते। जो आशावाद होते हैं, वे खुश होते। जिनको खुद को आदर करते हैं वे भी खुश होते।
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गणतन्त्र या कोई भी राजनैतिक तन्त्र /पद्धति जो हमारे देश में लागू है, वह जनता के इन सब गुणकों का प्रबंध करना है। राजनीति ऐसा नहीं होना चाहिए कि जिसमें लोगों की जरूरत की लापरवाही हो और सिर्फ पालन करने वालों की यानी राजनैतिक नायकों की परवाह हो। राजनीति लोगों की खुशी के लिए , लेकिन सरकारी व्यवस्था / यंत्र की खुशी के लिए नहीं । तो हम समझते हैं अब कि सच्ची राजनीति होती है जनता की खुशी में उन्नति लानेवाली। जब यह नहीं होता है, तो लोग और सरकार के बीच में हर दिन संघर्ष चलता रहता है। हरताल और सत्याग्रह होते हैं।
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