Ch-Album chapter ki prastavna hindi
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Explanation:
आमतौर पर ऐसे चार्टर्ड अकाउंटेंट को खोजना मुश्किल होता है, जिसे टैक्स के साथ-साथ बाज़ार की भी समझ हो। मुझे आज भी याद है, करीब 6 साल पहले मेरी एक ऐसे ही एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से मुलाकात हुई थी। मेरे दोस्त के घर हो रही एक पार्टी में इस चार्टर्ड अकाउंटेंट ने मुझसे पूछा कि मैं क्या करता हूं, तो मैंने बताया कि मैं शेयर ट्रेडिंग करता हूं। इसके बाद हमारी बातचीत का सिलसिला काफी लंबा चला। इस दौरान उसने मुझसे कुछ सवाल पूछे।
- मैं बाज़ार में होने वाले नफा-नुकसान को कैसे डेक्लेयर करता हूं?
- मैं सट्टा व्यवसाय (Speculative Business) से होने वाली आमदनी और गैर सट्टा व्यवसाय आमदनी को अलग कैसे करता हूं?
- अपने कारोबार के बहीखाता यानी अकाउंट को कैसे तैयार करता हूं?
- मेरे पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं था, क्योंकि मुझे पता ही नहीं था।
मैं कुछ भी सीखने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं, बाज़ार और बाज़ार की ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी को सीखने के लिए मैंने काफी समय लगाया है। लेकिन टैक्सेशन और बाज़ार के कारोबारियों के लिए इसके महत्व को सीखने के लिए मैंने कुछ भी नहीं किया था।
शायद मुझे इस बात से डर लगता था कि जब मैं टैक्सेशन को सीखना शुरू करूंगा तो मुझे बहुत सारे कठिन शब्दों, बहुत सारे सेक्शन, सब-सेक्शन, सर्कुलर को देखना पड़ेगा। मैंने एक बार इन चीजों को सीखने की कोशिश की थी और इसके लिए अपने ब्रोकर के ऑफिस भी गया था। वहाँ जब मैं अपने डीलर से मिला और उससे टैक्सेशन पर सवाल किए तो उसने कहा “अरे क्यों परेशान हो रहे हो? लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स ज़ीरो परसेंट और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स 15 परसेंट है, बस! इतनी सी ही बात है”
मुझे पता था कि ऐसा नहीं है। मैंने कोशिश की कि किसी ऐसे इंसान से मिल सकूं जिसे इस बारे में ज्यादा जानकारी हो ताकि मैं इस विषय को समझ सकूं। सौभाग्य से मैं उस स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी के क्षेत्रीय प्रमुख से मिल सका, मैंने बाज़ार के कारोबारियों और टैक्सेशन से जुड़े कई सवाल उससे पूछें लेकिन दुर्भाग्यवश उसका भी जवाब वही था जो मेरे डीलर ने मुझे बताया था।
इसके बाद एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास गया और उसने भी वही बात कही जो डीलर ने कही थी, बस ये कहते वक्त उसने कुछ बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल कर दिया जिससे मैं और भी ज्यादा उलझ गया। उस समय तक इस बारे में किसी ने न तो ब्लॉग किया था और ना ही इस बारे में कुछ अच्छे लेख लिखे गए थे। नतीजा ये हुआ कि मैं कुछ सीख नहीं पाया।
जब मैं पिछली घटनाओं पर नज़र डालता हूं तो मुझे लगता है कि अगर मुझे इस विषय में ज्यादा जानकारी होती, तो मुझे कई तरीके का फायदा हो सकता था।
मुझे विश्वास हो कि बहुत सारे ट्रेडर और निवेशक भी इसी स्थिति से गुजरते होंगे। जब हमने कुछ साल पहले टैक्स पर ब्लॉग लिखा तो हमारे पास करीब 2000 सवाल आएं। इसके अलावा बहुत सारे ईमेल भी मिलें जो कि इसी संदर्भ में सवाल से जुड़े थे। साफ था कि लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है।
इसी को ध्यान में रखते हुए हमने ज़ेरोधा वार्सिटी में ये नया मॉड्यूल डाला है और इसका नाम रखा है- बाज़ार और टैक्सेशन। इस मॉड्यूल में हम उन सब बातों पर चर्चा करेंगे जो टैक्सेशन और बाज़ार से जुड़ी हुई हैं, चाहे वो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स की बात हो या आपके इंट्राडे ट्रेड को सट्टा व्यवसाय की आमदनी के तौर पर रखने की बात हो या सेक्शन 44AD और सेक्शन 44ADA – सब बातों को यहां आसान शब्दों में एक जगह समझाया जाएगा।
इस पूरे मॉड्यूल को नितिन ने खुद लिखा है। इसका मतलब है कि आपको टैक्सेशन के बारे में ट्रेडर/निवेशक के नज़रिए से सीखने को मिलेगा, किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट के नज़रिए से नहीं।
मैं अगर जब पीछे मुड़कर देखता हूं तो मैं इस बात का अनुमान भी नहीं लगा पाता हूं कि कोई ब्रोकर अपने ग्राहकों को इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देगा। वास्तव में स्टॉक ब्रोकर जानकारी को अपने पास ही रखते हैं और केवल चुनिंदा ग्राहकों को ही समझाते हैं। अगर आप बाज़ार में ट्रेड करते हैं तो आपको इस बात का एहसास ज़रूर होगा। भारत में स्टॉक ब्रोकर आमतौर पर महंगे तो होते ही हैं, अपने ग्राहकों के साथ इसी तरीके से पेश भी आते हैं।
धीरे-धीरे स्टॉक ब्रोकिंग इंडस्ट्री को ये बात समझ में आने लगी है कि ग्राहको बड़ा हो या छोटा, उसको अच्छी सर्विस देना ज़रूरी है। मुझे लगता है कि इस बदलाव की एक बड़ी वजह ज़ेरोधा ही है। चाहे आपको ट्रेड करने के लिए बेहतर टूल्स देने की बात हो, ट्रेड से जुड़ी जानकारी और शिक्षा देने की बात हो या फिर टैक्स के लिए ज़रूरी रिपोर्ट देने की बात हो, ज़ेरोधा में आपको सब मिलता है।
तो बाज़ार और टैक्सेशन से जुड़े इस नए मॉड्यूल को अच्छे से पढ़िए और समझिए। मुझे पूरा भरोसा है कि इसको पढ़ने के बाद आप टैक्स से जुड़े मामलों को अच्छे से हैंडल कर पाएंगे और आपको टैक्स अफसर से डर नहीं लगेगा।
जुड़े रहें, मुनाफे में रहें।